नई दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार आरटीआई नियमों को बदलने का प्रयास कर रही है ताकि इसे खत्म किया जा सके। पार्टी ने कहा कि सरकार के इस कदम का वह पूरा जोर लगाकर विरोध करेगी।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आज कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर सूचना का अधिकार कानून के मसौदा नियम डाले गए हैं।
उन्होंने इन मसौदा नियमों के जरिये आरटीआई कानून को जटिल बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की सरकार सत्ता में आने के बाद पिछले 34 महीनों से लगातार इस कानून को अनौपचारिक तरीके से कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने पार्टी के नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार आरटीआई कानून को खत्म करना चाहती। वह इस कानून को निरसन करके खत्म नहीं करना चाहती बल्कि वह नियमों को इतना जटिल और कठिन बनाना चाहती है ताकि आम आदमी को सूचना लेने में बहुत कठिनाइयां महसूस हों।
तिवारी ने कहा कि प्रगतिशील ताकतों का यह दायित्व बनता है कि इन मसौदा नियमों का विरोध किया जाए। आरटीआई कानून को किसी भी तरह कमजोर करने या बदलने की कोशिशों का पूरा जोर लगाकर विरोध किया जाए।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा कि आरटीआई नियमों को बदलने के पीछे सरकार की मंशा क्या है। नागरिकों को सूचित करना या उन्हें धमकाने का अधिकार।
यह कानून 2005 में बना था और इसके तहत नागरिक सरकार से महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में जानकारी मांग सकते हैं। वर्ष 2015—16 में केन्द्र सरकार के पास आरटीआई कानून के तहत करीब एक करोड़ अर्जियां दर्ज की गई थीं।
पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने इस कानून में बदलाव लाने का प्रयास किया था किन्तु कड़े विरोध के कारण उसे यह सुझाव वापस लेना पड़ा था।
आरटीआई संबंधित मसौदा नियमों में कई बदलाव किए गए हैं। इनमें फोटो कापी का शुल्क दुगना करना, आरटीआई अर्जी के 500 से अधिक शब्दों में होने पर अधिकारियों को इसे खारिज करने का अधिकार देना, और आरटीआई अर्जी देने वाले की मृत्यु होने की स्थिति में उसकी आरटीआई अर्जी खारिज होने संबंधी बदलाव शामिल हैं।