बीजिंग। ग्रीन पीस जैसी स्वयंसेवी संस्था पर अपना शिकंजा कसने वाले मोदी सरकार के निर्णय की चीन के पूर्व विदेश उपमंत्री व्हू झेंगयू ने काफी सराहना की है।
एक समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में व्हू ने कहा कि विकसित देश (पश्चिमी देश) एनजीओ की आड़ में विकसनशील देशों के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं। इसलिए पंतप्रधान नरेंद्र मोदी का निर्णय सही है। व्हू चीनी संसद नॅशनल पीपल्स कांग्रेस के सदस्य एवं डिप्लोमसी असोसिएशन के उपाध्यक्ष है। ग्रीनपीस संस्था ने कई विकास योजनाओं का पर्यावरण उल्लंघन के नामपर विरोध किया था।
ज्ञात हो की, चीन ने स्वयंसेवी संस्था के कामकाज पर कड़े प्रतिबंध लगाएं गए हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए नया कानून बनाया गया है। जिसके अनुसार सभी संस्थाओं को फंडींग की जानकारी देनी होंगी। कोई भी कार्यक्रम अथवा योजना के संचालन से पहले सरकार से अनुमति लेनी होंगी। नए कानून की कडी आलोचना पश्चिमी देशों ने की है। अमरीका के सिक्युरटी कौन्सिल ने तो यहां तक कहा के, यह कानून स्वयंसेवी संस्थाओं की स्वतंत्रता पर पाबंदी है। यह फ्रिडम आफ एक्सप्रेशन का उल्लंघन है।
नए कानून के समर्थन में व्हू ने कहा कि पश्चिमी देशों द्वारा संचलित स्वयंसेवी संस्था हमारे देश के अतंर्गत व्यवहार में हस्तक्षेप करती रही। कई बार तो निर्णय भी प्रभावित किए जाने की कोशिश की गई।
चीन में मानवाधिकार का उल्लंघन, पर्यावरण समस्या आदी मुद्दोपर अमरीकन स्वंयसेवी संस्थाओं ने हमेशा प्रश्नचिन्ह लगाए परंतु चीन ने कभी उनको महत्त्व नहीं दिया। चीन में सात हजार स्वयंसेवी संस्थाएं कार्यरत है, जिनमें से अधिकांश पश्चिमी देशों के फंडीग पर निर्भर है।
व्हू ने कहा कि चीन खुद को विकसित नहीं, विकासशील देश मानता है। भारत भी विकासशील देश है। दोनों देशों में काफी समानताएं है। समस्याएं भी समान है, उसके समाधान भी हमको ही ढूंढने होंगे। इसलिए स्वयंसेवी संस्था के लिए जो कानून बने उसमें भी समानता होनी चाहिए।
हमारे नए कानून की चिंता पश्चिमी देशों को करने की जरूरत नहीं, हम जनता के लिए जवाबदेह है। इसलिए चीन में कार्यरत सात हजार स्वयंसेवी संस्थांओं के लिए क्या कानून हो, यह हमे तय करने दे।