नई दिल्ली। केरल सहित कुछ राज्यों के कड़े विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार पशु बाजारों में कत्ल के लिए जानवरों की खरीद-फरोख्त पर लगाई गई रोक पर कथित तौर पर विचार कर सकती है।
एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि संभावना है कि सरकार न काटे जाने वाले पशुओं की सूची से भैंस को बाहर कर सकती है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव एएन झा ने कहा कि हमें जानवरों की सूची को लेकर अभिवेदन (रिप्रेजेंटेशन) मिला है। हम इसपर काम कर रहे हैं।
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उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए 26 मई को नियमों में संशोधन किया था, जिसमें पशु बाजारों में कत्ल के लिए जानवरों की खरीद-फरोख्त पर रोक सुनिश्चित की गई।
कत्ल करने के लिए जिन जानवरों की बाजारों में खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती, उनमें गाय, सांड, भैंस, बछिया, बछड़ा तथा ऊंट शामिल हैं।
संशोधन की अधिसूचना जारी होने के एक दिन बाद ही मंत्रालय ने कहा कि कत्ल करने के उद्देश्य से जानवरों को किसानों के फॉर्म से सीधी खरीदारी की जा सकती है।
पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार का विनियमन) नियम-2017 की अधिसूचना जारी करने के बाद मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य पशु बाजार को विनियमित करना तथा पशुओं को क्रूरता से बचाना है।
अधिसूचना जारी होने के बाद से ही विभिन्न राज्यों, खासकर केरल में इसका व्यापक स्तर पर विरोध शुरू हो गया। केरल में युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए, लेकिन इसी तरह के एक विरोध-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक तौर पर एक बैल का सिर धड़ से अलग करने के बाद हंगामा हो गया।
राज्य में सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे केरल में 300 ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन किया, जिसमें लोगों को पका गोमांस परोसा गया। केरल देश के उन राज्यों में से एक है, जहां गोवध पर प्रतिबंध नहीं है।