नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण बिल पर संसद और सडक पर हो रहे विरोध पर मोदी सरकार सामने से हिली भले नहीं हो, लेकिन इससे हो सकने वाले संभावित नुकसानों को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कवायद शुरू कर दी है।
मंगलवार को इस संबंध में भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने सभी सांसदों से कहा कि वह इस अध्यादेश को लेकर हो रहे दुष्प्रचार को लेकर जनता के बीच जाएं।
मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल पर विपक्ष और विभिन्न संगठनों की जबरदस्त घेराबंदी के बीच भाजपा सांसदों से कहा कि उन्हें भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर बचाव की मुद्रा में आने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह बताना होगा कि सरकार जो कानून ला रही है, वह किसानों और गरीबों के हित में है। इस मुद्दे पर बनाये गए मिथक की हवा निकालने की नसीहत भी उन्होंने दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण सत्र है, इस सत्र में देश के महत्वपूर्ण विषय सामने आएंगे और विकास को नई दिशा मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी सांसदों को इस सत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। सभी सांसदों को नसीहत दी कि संसद सत्र के दौरान विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यों में सक्रियता से हिस्सा लेना चाहिए और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिये।
सूत्रों के अनुसार पिछले सत्र के दौरान और उसके बाद भी भाजपा के कुछ सदस्यों द्वारा विवादास्पद बयान दिये जाने के कारण पार्टी और सरकार की किरकिरी होने के संबंध में संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने हिदायत दे डाली। उन्होंने सभी सांसदों को चेतावनी दी कि अगर किसी ने विवादास्पद बयान या टिप्पणियां की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
उधर, राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अध्यादेश के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून लाने के मुददे पर सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 639 अध्यादेश के जरिये कानून लागू किए गए और उनमें से 80 प्रतिशत कांग्रेस के शासनकाल में हुआ। इस दौरान एक सदस्य ने भूमि अधिग्रहण कानून पर राजनीतिक दलों के नेताओं से बात करने की सलाह दी तो जेटली ने उन्हें सिर्फ उनके सुझाव संबंधित मंत्री तक पहुंचाने को आश्वस्त किया। वहीं केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को और प्रभावकारी बनाने के लिये भाजपा और राजग के नेता इस पर चर्चा करेंगे।