हैम्बर्ग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जी-20 से कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इस आर्थिक मंच (जी-20) की सदस्यता लेने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। मोदी का इशारा पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ था, जिसे जी-20 की किसी भी बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।
जी-20 के 12वें शिखर सम्मेलन से पहले शनिवार को मोदी ने आतंकवाद पर आयोजित सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में जी-20 में शामिल देशों के नेताओं से कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ निषेधात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
मोदी ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए कई बिंदुओं वाला एक एजेंडा पेश किया। उन्होंने कहा कि ऐसे देशों के जी-20 में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 राष्ट्रों को नामित आतंकियों की राष्ट्रीय सूची का आदान-प्रदान करना चाहिए और ऐसे लोगों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ प्रत्यर्पण जैसी कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना चाहिए।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ समग्र संधि (सीसीआईटी) को तुरंत स्वीकार किए जाने का आह्वान किया। भारत ने इस संधि की रूपरेखा विश्व के सामने रखी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 द्वारा चरमपंथ के खिलाफ कार्यक्रमों पर व्यापक रूप से जोर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्यबल और इस जैसे अन्य साधनों के जरिए आतंकियों को मिलने वाले वित्तपोषण पर लगाम लगाई जानी चाहिए। साथ ही आतंकी गतिविधियों को कुचलने के लिए जी-20 देशों के बीच साइबर सुरक्षा के मामले में ठोस सहयोग होना चाहिए।
मोदी ने कहा कि जी-20 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के आतंकवाद-रोधी तंत्र का गठन किया जाना चाहिए।