पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों में काफी खट्टी-मीठी यादों को देकर साल 2017 रवाना हो रहा है। यह साल पाकिस्तान और चीन के खिलाफ कूटनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद अहम साबित हुआ। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की कई चालबाजियों को नाकाम किया। चीन भारत की चारों ओर से घेरा बंदी करने की लंबे समय से कोशिश कर रहा है। वह अपनी इस योजना को ‘मोतियों की माला’ कहता है। वह हिंद महासागर में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत चीन पाकिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह बना रहा है, जिसके जवाब में भारत ने ओमान की खाड़ी में चाबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है। इसके शुरू होने से भारत बिना पाकिस्तान गए अफगानिस्तान पहुंच सकेगा। फिलहाल भारत को अफगानिस्तान जाने के इसके अलावा भारत श्रीलंका के उस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में करने जा रहा है, जिसको चार साल पहले चीन की मदद से विकसित किया गया था। इससे चीन की वन बेल्ट वन रूट (OBOR) परियोजना को झटका लगेगा।
चाबहार बंदरगाह
ईरान के दक्षिण पूर्व में ओमान की खाड़ी में स्थिति यह बंदरगाह सामरिक नजरिये से भारत, अफगानिस्तान और ईरान समेत कई देशों के लिए अहम है। यह पाकिस्तान में चीन के ग्वादर बंदरगाह से महज 85 किमी दूर है, इसके जरिये वो हिंद महासागर में भी पैठ जमाने की कोशिश कर रहा है। भारत ग्वादर के जवाब में चाबहार को विकसित कर रहा है, चाबहार पहला ऐसा विदेशी बंदरगाह है, जिसमें भारत की सीधे तौर पर भागीदारी है। इस बंदरगाह के शुरू होने से भारत सीधे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक अपनी पहुंच बना सकेगा। यह अब जल्द शुरू हो जाएगा
मट्टाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
भारत श्रीलंका के मट्टाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अ़ड्डे का नियंत्रण अपने हाथ में लेने जा रहा है, जो चीन के लिए चिंता का विषय है। इस हवाई अड्डे को श्रीलंका की महिंद्रा राजपक्षे सरकार ने अपने शासनकाल में चीन की मदद से विकसित किया था। यह श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से सिर्फ 18 किमी की दूरी पर स्थित है। चीन हिंद महासागर में भारत को घेरने के लिए यहां निवेश कर रहा है। इसके जवाब में अब भारत मट्टाला हवाई अड्डे पर 20.5 करोड़ डॉलर का निवेश करने जा रहा है।
इजरायल-भारत की मित्रता
यह साल इजरायल और भारत के रिश्तों के नाम रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में खुद इजरायल गए. इसके साथ ही वो इजरायल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, रक्षा और कृषि तकनीकी के क्षेत्र में करीब सात करार हुए। इसरो और इजरायल स्पेस एजेंसी (ISA) अब आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भी काम करेंगे। इजरायल से जल शुद्धिकरण तकनीक भी भारत को मिलेगी। भारत और इजरायल के करीब आने से चीन और पाकिस्तान की भी बेचैनी बढ़ गई है।
डोकलाम विवाद
डोकलाम न सिर्फ सीमा विवाद था, बल्कि दक्षिण एशिया में वर्चस्व की लड़ाई का इम्तिहान भी था, जिसमें भारत ने शानदार जीत दर्ज की और चीन को मुंह की खानी पड़ी। मोदी सरकार की कूटनीति के आगे चीन को झुकना पड़ा और करीब ढाई महीने के गतिरोध के बाद चीनी सेना को डोकलाम सीमा से पीछे हटना पड़ा।
कुलभूषण जाधव मामले पर PAK को ICJ में घसीटना
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, जब पाकिस्तान ने आतंकवाद और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाकर जाधव को फांसी की सजा सुना दी, तो भारत ने उसको अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में घसीट दिया। ICJ ने कुलभूषण को फांसी देने पर रोक लगा दी। जाधव मामले को लेकर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न सिर्फ घुटने टेकने पड़े, बल्कि फजीहत भी झेलनी पड़ी।
हाफिज सईद के मामले में US के साथ मिलकर दबाव बनाना
मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के लिए यह साल बेहद घातक साबित हुआ। भारत और अमेरिका के दबाव में आकर पाकिस्तान को हाफिज सईद को करीब 10 महीने तक नजरबंद करना पड़ा। इससे पाकिस्तान की आतंकियों को संरक्षण देने की हकीकत एक बार फिर दुनिया के सामने आ गई।
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