नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आरक्षण नीति की समीक्षा संबंधी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न होने के बाद आरएसएस ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने भागवत ने वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के बारे में बात नहीं की थी बल्कि कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सभी कमजोर वर्गों को उसका लाभ मिले।
आरएसएस की ओर से यह टिप्पणी तब आयी जब बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के पिछड़े क्षत्रपों के गठबंंधन के साथ कड़़े मुकाबले में जुटी भाजपा ने भागवत की टिप्पणी से स्वयं को अलग कर लिया। भाजपा ने जोर देकर कहा कि वह वर्तमान आरक्षण नीति पर किसी भी पुनर्विचार के खिलाफ है।
आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने एक बयान में कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने साक्षात्कार में वर्तमान में समाज के कमजोर वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षणों के बारे में बात नहीं की थी। उन्होंने कहा था कि सभी को इस बात का प्रयास करना चाहिए कि समाज के सभी कमजोर वर्गों को आरक्षण का लाभ मिले जैसी संविधान निर्माताओं की आकांक्षा थी। उन्होंने कहा कि यह साक्षात्कार आरक्षण के विषय पर नहीं बल्कि एकात्म मानववाद के बारे में था और उसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
लालू और जदयू के केसी त्यागी ने आरएसएस पर निशाना साधा था और संदेह जताया था कि क्या मोदी सरकार आरक्षण समाप्त कर देगी। आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाइजर में भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा का सुझाव दिया। उन्होंने दावा किया कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि एक अराजनीतिक समिति गठित कर इसकी समीक्षा होनी चाहिए कि किसको सुविधा चाहिए एवं कितने समय तक।
बिहार में राजग की घटक आरएलएसपी ने कहा कि भारत में संविधान के तहत दिया जाने वाला आरक्षण एक तय हो चुका मुद्दा है। आरएसएस ने भागवत के बयान पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि उनका आशय यह था कि संविधान निर्माताओं के मन में जो भाव था, उसके अनुरूप आरक्षण का लाभ समाज के सभी दुर्बल वर्गों तक अवश्य पहुंचे। इसका विचार सभी लोगों को मिलकर करना चाहिए। उनका साक्षात्कार आरक्षण के विषय में नहीं था बल्कि एकात्म मानव दर्शन के सदंर्भ में था, अत: उनकी बात को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
एक सवाल पर प्रसाद ने कहा कि आरक्षण के संबंध में भागवत के बयान पर आरएसएस की तरफ से स्पष्टीकरण आ चुका है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की प्रतिक्रिया पर भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें देश को बताना चाहिए कि उनके 15 साल के कार्यकाल में कितनों पिछड़ों और अति पिछड़ों को नौकरी मिली। उन्होंने कहा कि असल में इन वर्षों में केवल एक ही परिवार का विकास हुआ और वह था लालू प्रसाद यादव का परिवार।
लालू यादव ने भागवत के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि आरएसएस और भाजपा आरक्षण खत्म करने का कितना भी सुनियोजित माहौल बनाए, देश के 80 फीसदी दलित और पिछड़े इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। राहुल गांधी के इस बयान पर कि संघ विचारधारा नहीं बल्कि तानाशाही प्रवृत्ति है, प्रसाद ने कहा कि आरएसएस पर ऐसी टिप्पणी करने से पहले उन्हें अपने परिवार का इतिहास देखना चाहिए। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने अपने पद को बचाने के लिए आपातकाल लगाया था लेकिन किसी कांग्रेसी ने कुछ नहीं कहा। जिसने मुंह खोला वह जेल गया। ओटावियो क्वात्रोच्चि के मामले में भी कांग्रेसी चुप रहे।
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दस साल के शासन में हुए घोटालों पर राहुल गांधी ने चुप्पी साधे रखी। उनके नेतृत्व में कांग्रेस को कई राज्यों में विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है और लोकसभा में भी पार्टी 44 पर आ गयी है। उन्होंने सवाल किया क्या किसी कांग्रेसी ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया है। सच्चाई यह है कि गांधी बेबुनियाद और हल्की बात करने में पारंगत हो गए हैं।