वाशिंगटन। संसाधनों की कमी से भले ही कठिनाइयां पेश आती हैं, लेकिन यह स्थिति लोगों को होशियार बना सकती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है, जिसके अध्ययनकर्ताओं में भारतीय मूल का एक मनोवैज्ञानिक भी है।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, जब यह चुनाव करने की बात आती है कि धन व समय का इस्तेमाल कैसे किया जाए तो आर्थिक तर्क बेमानी हो जाते हैं, लेकिन तंगी हमें आर्थिक रूप से तर्कसंगत निर्णयकर्ता बना सकती है।
शिकागो विश्वविद्यालय में मुख्य शोधकर्ता अनुज शाह ने कहा कि जब पैसे की कमी होती है, हमारा ध्यान सबसे पहले मकान किराया और उपयोगिता बिल पर जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में मनोवैज्ञानिक ने कहा कि धन कम होने पर बीयर खरीदने का विचार करने वाले कुछ लोग बीयर की तुलना अन्य जरूरतों जैसे कल के लंच या बस के किराये से करते हैं।
अध्ययन में देखा गया कि ज्यादा आय वाले प्रतिभागी बीयर के लिए ज्यादा पैसे चुकाकर फैंसी होटल से बीयर खरीदने की इच्छा रखते हैं, जबकि वही बीयर छोटे से दुकान में कम कीमत में खरीदी जा सकती है। लेकिन कम आय वाले प्रतिभागी को इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि बीयर कहां से खरीदी जा रही है, बस उसकी कीमत कम होनी चाहिए।
निष्कर्ष में यह बात भी सामने आई कि तंगी भोजन तथा समय के मामले में भी फैसले को प्रभावित करती है। यह अध्ययन पत्रिका “साइकोलॉजिकल साइंस” में प्रकाशित हुआ है।