उदयपुर। उदयपुर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में निर्वस्त्र होकर दौड़ लगाने व पुलिस के साथ गाली-गलौज करने वाले आरोपी की निगरानी याचिका को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने नामंजूर करते हुए नगर दंडनायक के फैसले की पुष्टि करते हुए यथावत रखा।
सुखेर थाने का आरोपी रामा बडग़ांव निवासी गोपाल पुत्र शान्तिलाल हरिजन को शांति भंग करने के आरोप में नगर दंडनायक के समक्ष पेश किया गया था। इस मामले में आरोपी को सशर्त जमानत दी गई, जिसमें 20-20 हजार रूपए की दो जमानतें व मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए गए।
जमानत में यह शर्त भी निर्धारित की गई कि आरोपी परिवार व रिश्तेदार को छोडक़र गांव के ही शांतिप्रिय पड़ौसी की अगर जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने पर ही उसे जमानत पर रिहा किया जाए। इस फैसले को आरोपी के अधिवक्ता ने जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती देते हुए निगरानी याचिका पेश की।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रम-4 में मामला के निस्तारण के लिए आई। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रम-4 की पीठासीन अधिकारी ने गत 10 मार्च को पेश निगरानी याचिका पर सुनवाई के बाद अस्वीकार करते हुए खारिज कर दी ओर निगरानी याचिका पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर के द्वारा जारी किए गए आदेश को यथावत रखने को कहा गया।
यह है मामला
रामा गांव में बहुचर्चित प्रकरण दुदी बाई गमेती के अपहरण को लेकर गांव वाले भडक़ गए थे और उन्होंने रामा गांव निवासी गोपाल हरिजन पर आरोप लगाते हुए उसके मकान व वाहनों को फूंक दिया था और मारपीट की थी। इस मामले में पुलिस ने 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया जो न्यायिक अभिरक्षा में है।
इस मामले में गोपाल हरिजन पर आरोप है कि उसने दुदी बाई गमेती का अपहरण किया है। पुलिस ने इस मामले में रामा निवासी दुदी बाई पत्नी कमल गमेती को दस्तियाब किया और जिला कलेक्ट्री में एमओवी शाखा में जांच कराने के लिए आए, इसी दौरान गोपाल हरिजन भी वहां पहुंच गया और हंगामा करने लगा।
यही नहीं थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मियों के साथ गाली-गलौज करते हुए अपने शरीर पर पहने हुए कपड़ों को उतार दिया और कलेक्ट्री परिसर में दौडऩे लगा। सुखेर थानाधिकारी मांगीलाल पंवार व अन्य जाब्ते ने उसे पकड़ा और थाने ले गए वहां पर भी वह पुलिसकर्मियों से गाली-गलौज कर रहा था। उसे शान्ति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया। 3 मार्च से यह न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है यह जमानती पेश करने में असफल रहा है।