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पसीना पसीना होना कहीं ‘हाइपरहाइड्रोसिस’ तो नहीं! - Sabguru News
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पसीना पसीना होना कहीं ‘हाइपरहाइड्रोसिस’ तो नहीं!

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पसीना पसीना होना कहीं ‘हाइपरहाइड्रोसिस’ तो नहीं!
Business man Smelling His Armpits, sweat and smell

गर्मियों के शुरू होने के साथ जहां लू और धूप से बचने की कोशिश की जाती है तो वहीं कुछ लोग इस मौसम में असीमित मात्रा में निकलने वाले पसीने से परेशान रहते हैं, क्योंकि पारा चढ़ने के साथ ही पसीने का प्रकोप शुरू हो जाता है।

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वैसे देखा जाए तो पसीना न केवल शरीर के ताप को सामान्य बनाए रखता है बल्कि लू लगने से बचाने में भी अहम भूमिका निभाता है। कुछ लोगों में सामान्य से कहीं ज्यादा पसीना आता है जिसे डॉक्टरी भाषा में हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। माना जाता है कि यह स्थिति दुनिया के हर बीस में से एक व्यक्ति में होती है।

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हालांकि इससे व्यक्ति की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन सामाजिक व मानसिक रूप से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि स्किन स्पेशलिस्ट्स इस स्थिति को शरीर के लिए फायदेमंद मानते हैं, क्योंकि पसीने से शरीर की सफाई होती है और सारे हार्मफुल टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं। पर हाइपरहाइड्रोसिस में शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।

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इसी कारण पूरे शरीर चिपचिपाहट महसूस होती है, कपड़ों के गीले रहने व बदबू आने से आप दूसरों के सामने सहज महसूस नहीं करते। वैसे, पसीना आने के दूसरी वजहें भी हो सकती जैसे कि एक्सरसाइज करना, फिजिकल स्ट्रेस, इमोशनल स्ट्रेस और नर्वसनेस।

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टेंशन देता पसीना

डॉक्टर्स ने हाइपरहाइड्रोसिस को अत्यधिक गीलापन, पसीने के तरीके या उसकी मात्रा में बदलाव, कपड़ों पर धब्बे पड़ना या चुभने वाली बदबू के आधार पर परिभाषित किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, लोगों में शारीरिक गतिविधि के कारण उत्सर्जित ऊष्मा, मनोभाव या खाने में बदलाव के फलस्वरूप निकलने वाले पसीने की मात्रा अलग-अलग होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो दो लोगों का आपसी वार्तालाप, पर्यावरण व मनोभावों की गति पसीने की मात्रा को निर्धारित करती है। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस होने पर हथेली, पैर के तलवे और कांख में बहुत ज्यादा पसीना आता है। शरीर चिपचिपा महसूस होता है और जब किसी से हाथ मिलाते हैं तो सामने वाले व्यक्ति को हाथ गीला लगता है। इससे स्किन इंफेक्शन होने के चांसेज ज्यादा होते हैं।

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क्या है कारण

असल में हमारे शरीर में लगभग 26 लाख स्वेद ग्रंथियां हैं। ज्यादा पसीना आने के पीछे अत्यधिक शारीरिक श्रम या क्रियाशीलता में परिवर्तन को जिम्मेदार बताया गया है। हाइपरहाइड्रोसिस के चलते व्यक्ति की हथेलियां, पैर के तलवे व कांख भीगे रहते हैं। चिकित्सकों की राय में इसके अन्य कारणों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या स्वेद ग्रंथियों का ज्यादा क्रियाशील होना भी हो सकता है।

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यूजफुल टिप्स

विशेषज्ञों की मानें तो बोटोक्स को एंजिंग व रिंकल्स भगाने के लिए खूब यूज किया जा रहा है लेकिन अब इसका फायदा पसीने को कंट्रोल करने में भी है। इसे लगाने से पसीना आना बंद तो नहीं होगा लेकिन यह सीमित हो जाएगा। अगर आपको हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या है तो आप इससे पसीना कंट्रोल कर सकते हैं।

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असल में जब आपको गर्मी लगती है तो दिमाग स्वेट ग्लैंड्स को सिग्नल भेजता है और फिर बॉडी को ठंडा करने के लिए ग्लैंड्स स्वेट रिलीज करते हैं, यह सामान्य प्रक्रिया है। पर जब शरीर में बोटोक्स इंजेक्शन लगवाते हैं तो यह नर्व और स्वेट ग्लैंड्स के सिग्नल को इफेक्ट करता है। दरअसल, इंजेक्शन नर्व को कुछ समय के लिए पैरालाइज कर देता है। इस तरह पसीना आना 40 से 60 पर्सेंट तक कम हो जाता है। बोटोक्स की मदद से 6 महीने से लेकर 2 साल तक पसीने को कंट्रोल किया जा सकता है। इसी तरह टॉपिकल थैरेपी और सर्जरी के जरिए इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

इसका ध्यान रखें

जहां तक संभव हो, हाथ धोते रहें।

कांख में पसीना आपके कपड़ों को खराब करता है। बेहतर होगा कि रोज धुले हुए कपड़े पहने।

पसीने की बदबू से निजात पाने के लिए डियोड्रेंट लगाएं।

दिन में कम से कम दो बार जरूर नहाएं।