झुंझुनू। दो बेवा मां-बेटी मुस्लिम महिलाएं पहले तो कुदरत की मार से उनका सब कुछ लुट गया।
मजदूरी कर पेट पालने के लिए घर-घर दस्तक देकर तीन मासूम बच्चों को पालने के लिये सीकर में दर-दर की ठोकरें खाती रहीं। न्याय के लिए झुंझुनू कोतवाली पुलिस में जाकर पीडि़त मां-बेटी ने सब कुछ सच-सच बया कर दिया लेकिन रसूख के चलते कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज तक नहीं किया।
प्राप्त खबरों के अनुसार भंवरी उम्र 60 वर्ष पत्नी स्व. गफ्फार खां निवासी सीकर, नाज बानो उम्र 30 वर्ष पत्नी स्व.सखर भाटी निवासी सीकर की रहने वाली है। उनकी मुलाकात पड़ौसी हाजरा पत्नी हबीब पठान, नजमा उम्र 30 वर्ष पुत्री हबीब पठान से हुई।
दोनों ने एक सूदखोर से ब्याज के रुपए भंवरी देवी को उधार 40 हजार दिलाए। सूदखोर ब्याज का धंधा करने वाले ने 40 हजार रुपए के 4 लाख रुपए कर दिए। ब्याज चुकता नहीं होने पर मां-बेटी को गलत धंधे में धकेल दिया।
सात वर्ष तक नरक के धंधे में मां-बेटी पड़ी रही। मौका देखकर दोनों मां-बेटी गत माह सीकर से झुंझुनू अपने दामाद व बेटी के पास भाग आई। इसकी सूचना दो रोज पूर्व सूदखोरों को लगी तो सूदखोर उनको उठाने के लिए गाड़ी लेकर झुंझुनू बाकरा मोड़ पर पहुंच गए।
घर के अंदर घुसकर दोनों मां-बेटी को उठाने का प्रयास करने लगे तब दहशत पीड़ित मां-बेटी चिल्लाने लगी। तब कोतवाली पुलिस को तुरन्त सूचना दी गई। पुलिस की गाड़ी देखकर सूदखोर सीकर की तरफ भाग गए।
पुलिस में रिपोर्ट देने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पीडि़त दोनो मां-बेटी दहशत में है तथा घर व गांव सब कुछ छूट गया है वहीं न्याय की मांग को लेकर दर-दर भटक रही है।