नई दिल्ली। दो माह पहले ही महिला ने इरशाद नाम के एक शख्स से दूसरी शादी की थी। उसके पहले से ही चार बच्चे थे। शादी के बाद से ही सौतेले पिता ने अपनी पत्नी पर बच्ची की हत्या का दबाव बनाया था।
हत्या न करने पर आरोपी चार माह की मासूम व अपनी पत्नी को बीड़ियों से जलाता था। पिछले तीन दिनों से दोनों बच्ची की हत्या करना चाहते थे। लेकिन हत्या नहीं कर सके। आखिरकर शुक्रवार देर रात बच्ची को पुलप्रह्लदपुर इलाके के जंगलों में छोड़कर आ गए, ताकि ठंड से बच्ची की मौत हो जाए। लेकिन मंदिर के पुजारी व स्थानीय लोगों की नजर बच्ची पर पड़ गई।
बच्ची को एनजीओ के हवाले कर दिया गया है। पुलप्रह्लादपुर पुलिस ने भी कार्रवाई करते हुए बच्ची की मां मोबिना खातून व सौतेले पिता इरशाद को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधिकारी के अनुसार शनिवार सुबह पुलिस को सूचना मिली थी जंगलों में एक चार माह की मासूम रोते हुए मिली है।
सूचना के बाद एसएचओ सुनील कुमार के नेतृत्व में एसआई ईश्वर सिंह व कांस्टेबल अरविंद की टीम बनाई गई। तुरंत बच्ची को थाने लाया गया। जहां पर बच्ची को पहले प्राथमिक उपचार दिया गया। महिला पुलिसकर्मियों ने उसे दूध भी पिलाया। उसके बाद एम्स में बच्ची को उपचार के लिए भर्ती कराया गया।
इसी बीच पुलिस बच्ची की माता पिता की तलाश में लगी रही। तभी हेड कांस्टेबल सरवन को सूचना मिली कि बच्ची के मां बाप संगम विहार इलाके में रहते है। पुलिस ने छापेमारी कर दोनों को दबोच लिया।
दो माह पहले की थी दूसरी शादी
पुलिस अधिकारी के अनुसार इरशाद अपनी दूसरी पत्नी मोबिना खातून व चार बच्चों के साथ संगम विहार इलाके में रहता है। उसकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी है। मोबिना मूलरूप से नेपाल की रहने वाली है। दो साल पहले उसकी बुआ ने राजू नाम के शख्स को बेच दिया था। चार माह पहले ही राजू उसे छोड़कर फरार हो गया।
दो महीने पहले मोबिना की बुआ ने उसे इरशाद को बेच दिया। जहां पर दोनों ने शादी कर ली। हालांकि इरशाद के पहले से ही चार बच्चे थे। इसलिए इरशाद मोबिना पर बच्ची की हत्या करने का दबाव डाल रहा था। हत्या नहीं करने पर मोबिना व मासूम को बीड़ियों से जलाता था।
मोबिना के साथ मारपीट भी करता था।
तीन दिन पहले भी आरोपियों ने बच्ची की हत्या की कोशिश की थी लेकिन 26 जनवरी होने के कारण सुरक्षा कड़ी थी। इसलिए कुछ नहीं कर सके। 27 की रात को मौका मिलते ही बच्ची को जंगल में फेंक दिया। उन्हें आशा थी कि ठंड के कारण उसकी मौत हो जाएगी या फिर जंगली जानवार उसे खा जाएंगे। लेकिन कहते हैं, ‘जाको राखे साइंया, मार सकै न कोय।’ इस मामले में भी यही हुआ।