बालुरघाट। पूरी दुनिया आज गरीबों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करनेवाली मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने की गवाह बनी। आज के बाद से मदर टेरेसा, संत टेरेसा के नाम से संसार भर में विख्यात हो गईं।
वेटिकन सिटी में ईसाई तीर्थयात्रियों की मौजूदगी में उन्हें संत की उपाधि दी गई जहां विश्व की दिग्गज हस्तियां इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनीं।
कैथलिक चर्च के अनुसार किसी व्यक्ति को संत की उपाधि हासिल करने के लिए अपने जीवन में कम से कम दो चमत्कार साबित करने होते हैं।
समाज सेवा के क्षेत्र में अपने जीवन का अधिकांश समय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में गुजारने वाली मदर टेरेसा का एक चमत्कार पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले के हरिरामपुर ब्लॉके से सात नंबर शिरसी ग्राम पंचायत इलाके की रहनेवाली मोनिका बेसरा पर साबित हुआ। घटना साल 1999 की है।
मोनिका बेसरा के पेट का ट्यूमर भयानक स्थिति में पहुंच चुका था और दिन पर दिन उसकी हालत बिगडती जा रही थी। शारीरिक कमजोरी के कारण चिकित्सकों ने उसका तत्काल ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया था।
चिकित्सकों ने तीन महीने के बाद उसका ऑपरेशन करने की तिथि निश्चित की। बाद में परेशान माता-पिता मोनिका बेसरा को जिले के पतिराम मिशनरी हॉस्पिटल छोड आए।
पांच सितम्बर को मदर की पुण्यतिथि के दिन मोनिक बेसरा ने किसी तरह गिरिजा घर पहुंचकर प्रार्थना की। कहा जाता है कि उसी दौरान मदर टेरेसा की तस्वीर से एक रश्मि ने निकलकर उसके शरीर में प्रवेश किया।
उस रात सो कर उठने के बाद उसने अपने पेट में से ट्यूमर गायब पाया और वह पूरी तरह स्वस्थ अनुभव करने लगी। उसका दावा है कि मदर की तस्वीर से निकली चमत्कारिक रश्मि की वजह से वह स्वस्थ हो पाई।
उसके दावे की सच्चाई जानने के लिए वर्ष 2003 में उसे रोम ले जाया गया। वहां ईसाई धर्मं गुरूओं ने मोनिका बेसरा की जुबान से मदर के चमत्कार की सच्चाई जानने के बाद पिछले साल मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने का ऐलान किया।
मदर को संत की उपाधि उनके निधन के 19 साल बाद पुण्यतिथि के एक दिन पहले अर्थात चार सितम्बर को दी गई।
मदर को संत की उपाधि दिए जाने के इस विशेष समारोह में भारत से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल वेटिकन सिटी पहुंचे।