वेटिकन सिटी। भारत रत्न मदर टेरेसा को वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वायर में रविवार को संत की उपाधि दी गई। पोप फ्रांसिस ने टेरेसा को संत की उपाधि दी।
संत टेरेसा का रिश्ता भारत से है, मदर टेरेसा ने हिंदुस्तान को कर्मभूमि बनाया था इसलिए केंद्र सरकार की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद इस पल की गवाह बनीं तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
संत की उपाधि दिए जाने वाले प्रोसेस को कांग्रेगेशन कहा जाता है। कुछ स्टेप्स होते हैं जिसको उपाधि दी जानी है उसके बारे में लोग लिखित तथ्य देते हैं। जांच की जाती है।
कांग्रेगेशन प्रोसेस में शामिल लोग अगर इस बात पर सहमत होते हैं कि व्यक्ति या महिला ने चमत्कारिक जीवन जिया है तो यह रिपोर्ट एक पैनल को दी जाती है।
इस पैनल में डॉक्टर, तर्कशास्त्री, बिशप्स और कार्डिनल्स होते हैं। रिपोर्ट पोप को भेजी जाती है। इसके बाद पोप संत के लिए डिक्री साइन करते हैं।
इस मौके पर वेटिकन सिटी पूरी तरह से सज-धज कर इस सेरेमनी के लिए तैयार हुई थी। कोलकाता में उनकी मिशनरी से लेकर बैंगलोर, रांची और जगह-जगह संत टेरेसा की प्रार्थना की जा रही है।
नोबेल पुरस्कार विजेता दिवंगत मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशिनरी ऑफ चेरिटी की ननों के मुताबिक मदर की लोकप्रियता के कारण रोम में होने वाले इस समारोह का दुनियाभर में विशेष महत्व था।
मिशिनरी ऑफ चेरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर मेरी प्रेमा के नेतृत्व में देश के विभिन्न हिस्सों से 40 से 50 ननों का एक समूह भी इस समारोह के दौरान मौजूद रहा।
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में हुआ। उनका मूल नाम अग्नेसे गोंकशे बोजाशियु था। 1928 में वो नन बनीं। सिस्टर टेरेसा नाम मिला।
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