कोलकाता। कोलकाता की सड़कों पर गरीबों और बीमारों की सेवा में 45 साल बिताने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दी जाएगी। पोप फ्रांसिस ने यह उपाधि देने के लिए टेरेसा के दूसरे चिकित्सकीय चमत्कार को मान्यता दे दी है।
मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने शुक्रवार को बताया कि हमें अब वेटिकन से आधिकारिक पुष्टि मिल गई है कि चर्च द्वारा दूसरे चमत्कार की पुष्टि की गई है और मदर को संत की उपाधि दी जाएगी। हमें इसे लेकर बहुत उत्साहित और खुश हैं।
‘गटरों की संत’ के नाम से चर्चित नन को सितंबर की शुरूआत में उपाधि दिए जाने की संभावना है। टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी और कोलकाता में गरीबों, रोगियों तथा अनाथों की सेवा में 45 साल गुजारे। मदर टेरेसा का 87 साल की उम्र में 1997 में कोलकाता में निधन हो गया था।
पश्चिम बंगाल की मुयमंत्री ममता बनर्जी ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा दिए जाने के वेटिकन के निर्णय पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी को बधाई दी। ममता ने एक बयान में कहा कि अभी यह अच्छा समाचार सुना कि मदर टेरेसा को 2016 में संत का दर्जा दिया जाएगा। इस खुशी के मौके पर मिशनरीज आफ चैरिटी को शुाकामनाएं।
कैथोलिक समाचार पत्र ‘अवेनिरे’ के अनुसार मदर टेेरेसा को पोप के ‘जुबली ईयर आफ मर्सी’ के तहत चार सितंबर को रोम में आधिकारिक रूप से उपाधि दी जाने की संभावना है। उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
वर्ष 2003 में तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय ने करीब तीन लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति में एक समारोह में तेज प्रक्रिया के तहत टेरेसा को ‘बेटिफाइड’ धन्य घोषित किया गया था। ‘बीटीफिकेशन’ संत की उपाधि की तरफ पहला कदम होता है।
वर्ष 2002 में वेटिकन ने आधिकारिक रूप से एक चमत्कार को स्वीकार किया था जिसके बारे में कहा जाता है कि टेरेसा ने अपने निधन के बाद यह चमत्कार किया। 1998 की इस घटना में पेट के ट्यूमर से पीडि़त एक बंगाली आदिवासी महिला मोनिका बेसरा ठीक हो गई थी। पारंपरिक रूप से संत की उपाधि की प्रक्रिया के लिए कम से कम दो चमत्कारों की जरूरत होती है।
टेरेसा के साथ काम कर चुकीं सुनीता ने कहा कि पहला चमत्कार कई साल पहले कोलकाता में हुआ था। अब का मामला ब्राजील का है जहां उनकी टेरेसा की पूर्व की प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया है।