
न्यूयॉर्क। लार में पाए जाने वाले फायदेमंद व हानिप्रद जीवाणुओं का अनुपात चिकित्सकों को इस बात का संकेत दे सकता है कि लीवर सिरोसिस के किस मरीज के लीवर में सूजन है और उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
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इस सम्बंध में शोध करने वाले अमरीका स्थित वर्जीनिया कॉमनवेल्थ युनिवर्सिटी (वीसीयू) के स्कूल ऑफ मेडिसिन में हिपैटोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर जसमोहन बजाज ने कहा कि माना जाता है कि सिरोसिस के लिए जिम्मेदार अधिकांश रोगाणुओं का विकास आहारनाल में ही होता है और इसी के आधार पर यह खोज संभव हो पाया।
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बजाज ने उल्लेख किया कि तथ्य तो यही है कि आहारनाल में तरल पदार्थों के साथ लार सूजन का संकेत हो सकता है, जिसके लिए हमें मुखगुहा की और जांच तथा लीवर की बीमारियों के साथ इसका संबंध खोजने की जरूरत है।
अध्ययन में सिरोसिस के 100 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें से 38 को 90 दिनों के भीतर हालत बिगडऩे के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
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शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, उनके लार व मल में फायदेमंद व हानिप्रद सूक्ष्मजीवियों का अनुपात समान था।
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शोध के दूसरे चरण के तहत सिरोसिस तथा बिना सिरोसिस वाले 80 लोगों पर उपरोक्त अध्ययन को दोहराया गया। सिरोसिस से पीडि़त लोगों के लार में फायदेमंद जीवाणुओं में कमी पाई गई, जो पेट में प्रतिरक्षा में कमी को दर्शाता है। यह अध्ययन पत्रिका ‘हिपेटोलॉजी’ में प्रकाशित होगा।
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