नई दिल्ली। ‘बैंजो’ नाम से ही जाहिर होता है कि फिल्म बैंजो नाम के वाद्य यंत्र पर बनीं है और वैसे भी गीत-संगीत हमेशा से ही बॉलीवुड फिल्मों का अहम हिस्सा रहा है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि संगीत पर आधारित कम फिल्में ही बनी है।
हाल के वर्षों में रॉक-ऑन, रॉकस्टार और आशिकी के बाद ‘बैंजो’ संगीत पर आधारित फिल्म है। रवि जाधव के निर्देशन में बनीं इस फिल्म में रितेश देशमुख, नरगिस फाखरी, धर्मेश येलांडे और मोहन कपूर जैसे सितारे मुख्य भूमिका में है।
कहानी:-
फिल्म की कहानी हैं मुंबई के झोपड़ पट्टी में रहने वाले नन्द किशोर उर्फ तरात (रितेश देशमुख) की है जो बैंजो बजाने में माहिर है।
तरात का एक बैंड भी जिसमें उसके तीन और दोस्त भी है। उसका असली पेशा वसूली करना है लेकिन झोपड़ पट्टी में होने वाले कार्यक्रमों में उसके बैंड की मांग रहती है। दूसरी तरफ न्यूयॉर्क में रहने वाली संगीतकार-गायक क्रिस (नरगिस फाकरी) तरात की बैंजो की धुन को सुन उसके साथ अपना गाना रिकॉर्ड करना चाहती है।
भारत आने के बाद थोडी मशक्कत के बाद नरगिस की मुलाकात तरात से हो जाती है और दोनों मिलकर संगीत पर काम करने लगते है। दोनों साथ मिलकर सफलता की सीढिय़ा चढ़ते है लेकिन एक हादसे के बाद तरात का ये बैंड बिखर जाता है। कहानी में थोडी ट््िवस्ट और उतार चढ़ाव भी आते है।
निर्देशन :-
रवि जाधव मराठी सिनेमा के जाने-माने नाम है और बॉलीवुड में यह उनकी पहली फिल्म है। रवि का काम कई जगह तारीफ के काबिल है तो उनके निर्देशन में कुछ खामियां भी है। फिल्म के कुछ ऐसी कडियां भी है जो एक दूसरे से जुड़ नहीं पाती है। मुंबई के झोपड पट्टी के सही तरीके से दिखाने में रवि कामयाब रहे। फिल्म के क्लाइमेंक्स को उन्होंने बेहतरीन तरीके से शूट किया है।
अभिनय:-
लंबे समय के बाद रितेश किसी फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आ रहे है और रितेश ने अपने काम से प्रभावित भी किया है। फिल्म में उनके अभिनय में कई परत देखने को मिली। बैंजो बजाने के साथ-साथ एक्शन, कॉमेडी, रोमांस वाले ²श्यों में भी वह सहज लगे। नरगिस फाकरी और दूसरे सहकलाकारों का काम भी अच्छा है।
गीत-संगीत:-
विशाल-शेखर की जोड़ी ने फिल्म का संगीत दिया है जोकि ऐसे सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन फिल्म के हिसाब से फिट नहीं बैठता कुछ गाने फिल्म की गति को धीमा करते है। फिल्म का क्लाइमेक्स का गाना दिल को छूने में कामयाब नहीं रहता।
देखे या ना देखे:-
अगर आप म्यूजिकल फिल्मों के शौकीन है तो यह फिल्म आपको देखनी चाहिए। हालांकि यह भी सच है एक म्यूजिकल फिल्म का संगीत जितना असरदार होना चाहिये बैंजो में वह नहीं है और यहीं फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है। बैंजो की धुन से ज्यादा फिल्म में पश्चिमी वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया गया है।
रेटिंग: –
कुछ खामियों के बावजूद भी बैंजो ऐसी फिल्म हैं जिसे आप एक बार तो देख ही सकते है। फिल्म को हमारी तरफ से पांच में ढाई स्टार (2.5/5)
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