पवई/पन्ना। पन्ना जिले के पवई विकासखण्ड के मोहन्द्रा संकुल अंतर्गत अतिथि शिक्षकों की फर्जी भर्ती कर वेतन की राशि के गबन का घोटाला उजागर हुआ है।
संकुल अंतर्गत आने वाले 6 शासकीय प्राथमिक-माध्यमिक स्कूलों में आश्चर्यजनक रूप से कागजों पर 8 फर्जी अतिथि शिक्षकों की अगस्त 2015 में भर्ती करके माह दिसम्बर 2015 तक उनके मानदेय के रूप में प्रतिशक 16000 रूपये के मान से राशि निकालकर गबन किया गया है।
मजेदार बात यह है कि जिन संस्थाओं में फर्जी शिक्षकों की भर्ती होना एजुकेशन पोर्टल पर दर्शाया जा रहा है उनके प्रधानाध्यापकों को इसकी कानों-कान भनक तक नहीं हैं। संबंधित संस्थाओं की शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व संकुल प्राचार्य तक इस खुलासे को लेकर हैरान है।
बताते चले कि जिन प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में अतिथि शिक्षकों की भर्ती होना बताया जा रहा है उन संस्थाओं में फर्जी शिक्षकों का कोई शैक्षणिक रिकार्ड तक उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि उस नाम के किसी अतिथि शिक्षक को न तो शाला के प्रधान अध्यापक जानते है और न ही संकुल प्राचार्य को कोई जानकारी है। कमाल की बात यह भी है कि फर्जी अतिथि शिक्षक एक भी दिन स्कूल पढ़ाने नही गये बावजूद उनका मानदेय निकाला गया।
प्रदेश सरकार के कथित जीरों टॉलरेंस की प्रतिबद्धता के बीच व्यवस्था में हर स्तर पर गहरी जड़े जमा चुके भ्रष्टाचार का यह एक नमूना मात्र हैं। व्यापम के जरिये नाकाबिलों से रूपये लेकर नौकरी की रैवड़ी बाटने वाले मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को अघोषित तौर पर शासन प्रशासन का खुला संरक्षण प्राप्त है। इसलिये यहां जो भी हो शायद वह कम है।
इस तरह हुआ भंडाफोड़
गौरतलब है कि संकुल मोहन्द्रा के अंतर्गत आने वाले विभिन्न स्कूलों में कुल 37 अतिथि शिक्षक अपनी सेवाये प्रदान कर रहे हैं। पर जब राज्य सरकार के एजुकेशन पोर्टल पर देखा गया तो वहां मोहन्द्रा संकुल में कुल 45 अतिथि शिक्षकों का माह अगस्त 2015 से दिसंबर 2015 तक का 16 हजार रूपए के मन से मानदेय की रशि का भुगतान होना भी दर्शाया गया है।
जब कुुछ शिक्षकों ने अपने स्तर पर तहकीकात की तो मामला संदिग्ध पाया गया। मोहन्द्रा संकुल की 6 प्राथमिक-माध्यमिक शालायें ऐसी हैं जिनमें 8 अतिथि शिक्षकों की फर्जी भर्ती दर्शायी जा रही हैं। इनके मानदेय की राशि का आहरण अमानगंज डीडीओ संतोष शर्मा के हस्ताक्षर से हुआ।
लिपिक है मास्टर माइण्ड
फर्जीवाड़े में मोहन्द्रा संकुल के लिपिक गोविन्द वर्मन की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। हालाकि जानकारों का मानना है कि अकेले लिपिक इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं कर सकता। इसमें विकास खण्ड स्तर से लेकर जिला स्तर और राजधानी भोपाल में बैठे विभागीय अधिकारियों की मिली भगत के बगैर कागजों पर फर्जी अतिथि शिक्षकों की भर्ती और उनके मानदेय की राशि का आहरण संभव नहीं है। शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का मानना है कि इस पूरे प्रकरण की यदि उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच होती है तो इस फर्जीवाड़े में लिप्त शिक्षा विभाग के अधिकारी बेनकाव हो सकते हैं।
खबर फैलते ही हटाई जानकारी
जब इन अतिरिक्त आठ अतिथि शिक्षकों की जानकारी लेने संबंधित शालाओं से सम्पर्क किया तो सभी ने ने हैरानी जताते हुये एक ही जवाब दिया की उक्त नाम का कोई शिक्षक उनकी शाला में नहीं है। इससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि ऊपर ही ऊपर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा आखिर कैसे संभव हुआ।
राज्य सरकार के एजुकेशन पोर्टल पर 3 फरवरी तक मोहन्द्रा संकुल में 45 अतिथि शिक्षकों की भर्ती दिखाई गई थी। वह 7 फरवरी आते आते 38 अतिथि शिक्षकों में कैसे तब्दील हो गई। ऐजुकेशन पोर्टल की जानकारी में अचानक तब्दीली इस खेल में शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों से लेकर राज्य स्तरीय अधिकारियों की भूमिका को संदेह के दायरे में लाता है। एजूकेशन पोर्टल में फर्जी अतिथि शिक्षकों के नाम हटाये जाने से इसमें जानकारी दर्ज करने वालों में पूछताछ आवश्यक हो गई है।
गोविन्द वर्मन लिपिक शास. हायर सेकेण्डरी स्कूल मोहन्द्रा का कहना है कि ये गफलत ऐजुकेशन पोर्टल पर गलत एन्ट्री के कारण, हुई है, कहीं भी फर्जी नियुक्तियां नहीं की गई हैं। दो-तीन दिन बाद ऑफिास ज्वाइन करने पर आपको पूरी जानकारी दे दूूंगा।
संतोष शर्मा प्राचार्य शास. हायर सेकेण्डरी मोहन्द्रा का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का मामला गंभीर है। मैंने स्वयं संबंधित शालाओं में जाकर इसकी प्रारंभिक जांच की है जिसमें संदिग्ध तथ्य सामने आयें हैं इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देकर उनके निर्देशानुसार विस्तृत जांच कर वास्तविकता सामने लाई जाएगी।
एसके मिश्रा जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना का कहना है कि इस संबंध में मुझे आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। बोर्ड परीक्षाओं के पश्चात् टीम गठित कर पूरे प्रकरण की सूक्ष्म जांच कराई जायेगी। यदि कहीं कोई गड़बड़ी पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर नियमानुसार कड़ी कार्यवाही की जायेगी।