नई दिल्ली। हेलीकॉप्टर शॉट से क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गजों को अपना दिवाना बनाने वाले और भारत के सफलतम टेस्ट कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने मंगलवार को अचानक टेस्ट क्रिकेट से विदाई की घोषणा कर दी।
धोनी किसी तूफान की तरह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आए और उसी तरह बेहद सादगी से उन्होंने क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप को अलविदा कर सबको आश्चर्य में डाल दिया।
धोनी का करियर कई मायनों में गौर करने वाला है। कप्तान और खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने कई मान्यताएं तोड़ी। मसलन, क्रिकेट की किताबों से अलग उन्होंने न केवल नए शॉट गढ़े बल्कि सफलतापूर्वक 90 टेस्ट तक का सफर भी तय किया। 33 वर्षीय धोनी ने 60 मैचों में टीम इंडिया का नेतृत्व किया और बतौर भारतीय कप्तान सबसे ज्यादा 27 मैचों में जीत दिलाई।
धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 की औसत से कुल 4876 रन बनाए जिसमें छह शतक और 33 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान बतौर विकेटकीपर भी धौनी ने 256 कैच पकड़े और 38 स्टंप आउट किए। धोनी बतौर कप्तान अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 रनों का आंकड़ा छूने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज रहे।
श्रीलंका के खिलाफ 2005-06 में चेन्नई में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले धौनी को पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में पहली पारी में खेली गई 148 रनों की पारी से असल पहचान मिली।
चेन्नई में 2012-13 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 224 रनों की मैच जीताऊ पारी संभवत: उनके टेस्ट करियर की सबसे बेहतरीन पारी रही। धोनी को पहली बार 2007-08 में अनिल कुंबले के चोटिल हो जाने के बाद कानपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में भारतीय टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई।
इसके बाद कुंबले की गैरहाजिरी में 2008-09 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट के लिए कप्तान बनाया गया। मोहाली में खेले गए इस मैच में धोनी ने 92 और 68 रनों की पारी खेली और भारत ने 320 रनों की बड़ी जीत हासिल की। दिल्ली में अगले टेस्ट के बाद कुंबले ने संन्यास की घोषणा की और इस प्रकार धोनी को नियमित टेस्ट कप्तान नियुक्त कर दिया गया।
धोनी के नेतृत्व में इसके बाद भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ 2008-09, श्रीलंका के खिलाफ 2009-10, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ 2010-11 में श्रृंखला जीतने में कामयाब रही। श्रीलंका पर मिली 2-0 की जीत के बाद भारतीय टीम पहली बार टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंची और करीब डेढ़ साल तक शीर्ष पर बनी रही।
विकेटों के पीछे भी धोनी का प्रदर्शन शानदार रहा और 200 विकेट चटकाने वाले वह पहले भारतीय विकेटकीपर बने। धोनी ने यह उपलब्धि केवल 62 मैचों में हासिल की। इससे पहले सैयद किरमानी ने 88 मैचों में कैच और स्टंप के जरिए 198 विकेट चटकाए थे।
पिछले करीब एक साल से भारतीय टीम की टेस्ट में खराब प्रदर्शन को देखते हुए धोनी की कप्तानी पर सवाल उठने लगे थे। इंग्लैंड में पांच मैचों की श्रृंखला में भारत की 1-3 की शर्मनाक हार ने धोनी के आलोचकों को और मुखर कर दिया।