लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का विवाद गहराता जा रहा है। सपा विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनाएगी।
पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि चुनाव के बाद विधायक तय करेंगे कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में सपा मुखिया ने आज कहा कि 2012 के चुनाव में मेरे नाम पर वोट मिला और पार्टी पूर्ण बहुमत में आई। इसके बाद अखिलेश यादव को मैंने ही मुख्यमंत्री बनाया।
मुलायम ने आज फिर अपने छोटे भाई और प्रदेश सरकार के कबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव को ज्यादा तवज्जो दी। कहा कि शिवपाल ही पार्टी के प्रभारी और सब कुछ हैं। वहीं अपने बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश के बारे में कहा कि शिवपाल और मेरी बहन ने ही उनका बचपन में पालन पोषण किया। मैंने उनको मुख्यमंत्री बनाया।
दरअसल, अखिलेश ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये साक्षात्कार में कहा था कि पार्टी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए बिना किसी का इंतजार किए वह अपने दम पर अकेले चुनाव प्रचार करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें बचपन में अपना नाम भी खुद ही रखना पड़ा था। उस वक्त कोई उनके साथ नहीं था। चौदह साल तक हास्टल में रहे हैं। ऐसे में अकेले सब कुछ करने का संघर्ष झेल चुके हैं।
अखिलेश का यह साक्षात्कार प्रकाशित होने के बाद मुलायम ने आज प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कहा कि अखिलेश की पढ़ाई-लिखाई पर मैंने काफी ध्यान दिया। उनका ग्वालियर में जब मन नहीं लगा तो उन्हें धौलपुर भेजा। पिछले चुनाव में मेरे नाम पर वोट मांगा गया, लेकिन मुख्यमंत्री मैने अखिलेश को बनाया। अब हमने उन्हें स्वतंत्र कर दिया है।
उन्होंने कहा कि पार्टी जिस नेता को जहां चाहेगी, उसका उपयोग करेगी। शिवपाल पार्टी के प्रभारी और सब कुछ हैं। मैं भी चुनाव प्रचार करुंगा। जनता हमारे परिवार को प्यार करती है।
परिवार में विवाद के सवाल पर कहा कि हमारे परिवार में तीन पीढ़ियों से कोई विवाद नहीं है। छोटी पार्टी बनाकर इस मुकाम पर पहुंचा हूं। साधारण लोगों को भी सरकार में मंत्री बनाया।
मुलायम ने बताया कि पांच नवंबर को सपा अपने 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती मनाएगी। कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति को इस कार्यक्रम का संयोजक बनाया गया है।
एक दूसरे सवाल के जवाब में सपा मुखिया ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा का चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। उन्होंने चुनाव में गठबंधन की खबरों को खारिज कर दिया।
कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। कहा कि सबको अपने-अपने धर्म के हिसाब से चलना चाहिए। जो जिसे मान रहा है, उसे मानने दें।
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