कानपुर। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह (नेता जी) ने शुक्रवार को एक बार फिर सीएम अखिलेश सिंह यादव को चेताया था कि सफेदपोश और सरकारी चोर व माफिया की मिलीभगत से आपके कामों पर पानी फेर रहे हैं। चेत जाइए, नहीं तो यह तीनों मिलकर आपकी नाव डुबो देंगे।
नेता जी ने जो बयान दिया उसमें दम है, क्योंकि उसकी बानगी शहर में फर्राटा भर रहे ओवरलोड ट्रक दे रहे हैं। नेता जी चाहे जितनी चेतावनी व बयान दें, लेकिन इस हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता।
अवैध खनन माफिया और उससे जुड़े सफेदपोशों की राजनीतिक गलियारों में तगड़ी पहुंच और हनक ही है, जो उनके हर बयान को जुमला बना देती है। संभागीय परिवहन विभाग और पुलिस ओवरलोडिंग की अनदेखी करती है और इन आरोपों के बावजूद कि कमाई का हिस्सा ऊपर तक जाता है। खामोशी से अपनी जेबें भरने में लगी रहती है।
पुलिस और परिवहन विभाग की मेहरबानी से ही ओवरलोड ट्रक बेखौफ शहर की सीमा में घुसते हैं और खुलेआम नियमों को रौंदते हुए आगे बढ़ जाते हैं। अब कमाई के कागज के इस खेल में जनता इस सवाल का जवाब ही खोजती रह जाती है कि आखिर ऐसा क्यों है कि सरकार चाहती है, फिर भी ट्रकों की ओवरलोडिंग नहीं रुकती है।
पांच से छह हजार होती सुविधा शुल्क
10 टायर ट्रक पर 15 टन वजन लादकर चलने का नियम है, लेकिन चालक 60 टन तक वजन लादकर चलते हैं। इसी तरह बारह टायर ट्रक पर 18 टन वजन का नियम है लेकिन ट्रक चालक 70 टन तक माल लेकर चलते हैं। इसके लिए शहर की सीमा में प्रवेश करते हैं द्य ट्रक आपरेटर को तय फीस 12 हजार रुपए देनी होती है, तभी आगे जाने दिया जाता है।
इसके साथ ही प्रदेश में प्रवेश के लिए सरकारी फीस 6050 तय है, जो तिमाही देनी होती है। यह फीस सरकारी खजाने में जाती है, जबकि जिलों में प्रवेश के लिए ट्रक आपरेटरों को हरमाह सुविधा शुल्क देना होता है, यह पुलिस और परिवहन विभाग के अफसरों-कर्मियों की जेब में जाता है। यह फीस झांसी से पांच से छह हजार, उरई पांच हजार कानपुर देहात में चार हजार, उन्नाव में छह हजार व लखनऊ में चार हजार हर माह देना होता है।
एजेंट के पास रहता पूरा ब्योरा
सूत्रों की माने तो ओवरलोड ट्रकों से वसूली के लिए एजेंट तय हैं। इन्हे प्रति ट्रक 300 रुपये कमीशन दिया जाता है। इन एजेंटों के पास रजिस्टर में सारे ट्रकों के नंबर दर्ज होते हैं, जो मार्ग पर चेकिंग करने वाली आरटीओ टीम से मिलाए जाते हैं। सरकार ने टोल प्लाजा पर विम (वेट इन मोशन) के जरिये ओवरलोडिंग रोकने के प्रयास शुरू किए थे लेकिन आपको इसकी हकीकत भी बताते हैं।
नियम है कि तय भार से जितना भी माल अधिक होगा उसे टोल प्लाजा पर उतार लिया जाएगा। इसके बाद ही ट्रक आगे जाने दिया जाएगा। लेकिन टोल प्लाजा पर अधिक भार मिलने पर जुर्माना लेकर ट्रकों को आगे जाने दिया जाता है। 35 टन से अधिक माल पर टोल प्लाजा फीस 430 रुपए और जुर्माना 870 रुपए है। ऐसे में टोल नाका पर लगी मशीनें कमाई का साधन बन गई है।