
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री और अपने बेटे अखिलेश यादव के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह उनके बेटे जरूर हैं, लेकिन वह जो भी निर्णय ले रहे हैं उससे वह सहमत नहीं हैं।
लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुलायम ने यह बात कही। मुलायम ने हालांकि यह साफ किया कि वह फिलहाल कोई नई पार्टी नहीं बना रहे हैं, लेकिन वह अखिलेश के किसी भी निर्णय से सहमत नहीं हैं।
मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश ने भरोसा तोड़ा है। जो अपनी बात का पक्का नहीं है वो जीवन में सफल नहीं हो सकता। जो वादा करके निभाता नहीं है, उसका क्या भरोसा करना। जो अपने बाप का नहीं हुआ वह किसी और का क्या होगा।
मुलायम ने कहा कि 5 अक्टूबर को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में वह शरीक नहीं होंगे। कन्नौज से सांसद डिंपल यादव के अगला लोकसभा चुनाव न लड़ने के अखिलेश के बयान पर मुलायम ने कहा कि वह चुनाव लड़ें या ना लड़ें यह उनका निजी मामला है। इस पर वह कुछ नहीं कह सकते।
मुलायम ने किसी भी नई पार्टी के ऐलान की बात से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह जल्द ही सब कुछ सामने लाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं अखिलेश के किसी भी फैसले से सहमत नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि अखिलेश बेटा है, उसे आशीर्वाद देता रहूंगा। अखिलेश से पूछना चाहिए कि आखिर आस्तीन का सांप कौन है।
बतादें कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने हाल ही में लोहिया ट्रस्ट की बैठक बुलाई थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके समर्थकों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था।
बैठक में अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, आजम खान, धर्मेंद्र यादव और बलराम यादव इस बैठक में नहीं शामिल हुए थे। जिसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने भाई रामगोपाल यादव को लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह शिवपाल यादव को सचिव बना दिया था।
इसी साल अगस्त में मुलायम ने लोहिया ट्रस्ट की बैठक ली थी, अखिलेश और राम गोपाल उस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने पिछले दिनों लोहिया ट्रस्ट कार्यालय में हुई बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए अखिलेश के करीबी चार सदस्यों को ट्रस्ट से बेदखल कर दिया था। हटाए गए सदस्य राम गोविंद चौधरी, ऊषा वर्मा, अशोक शाक्य और अहमद हसन चारों ही अखिलेश यादव के करीबी हैं।
इनकी जगह शिवपाल के चार करीबियों को सदस्य बनाया गया, इनमें दीपक मिश्रा, राम नरेश यादव, राम सेवक यादव और राजेश यादव शामिल हैं।
उधर वहीं अखिलेश यादव का फिर से समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना लगभग तय है और 5 अक्टूबर को आगरा के राष्ट्रीय अधिवेशन उन्हें दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। इस बार अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की मुहर राष्ट्रीय अधिवेशन में लगेगी।
हाल ही में मुलायम सिंह को लेकर अखिलेश ने कहा था कि मुलायम उनके पिता हैं लेकिन रही बात राजनीति की तो फिलहाल दोनों की लाइन अलग है।