मुम्बई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि मुंबई-गोवा हाइवे पर पुल हादसे की न्यायिक जांच की जाएगी। अब तक नौ शव बरामद हुए हैं।
इस हादसे की प्रारंभिक जांच के लिए आईआईटी की एक टीम भेजी गई है और इस ब्रिटिशकालीन पुल के टूटने पर बहे लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ के गोताखोरों की टीमें जुटी हैं। इसके अलावा बस और बाकी वाहनों की तलाश में सुबह से सेना के गोताखोर भी जुट चुके हैं।
मुख्य मंत्री ने बताया कि प्रारंभिक अध्ययन के लिए आईआईटी, मुंबई से 3 विशेषज्ञों की एक टीम तैनात की गई है और इस टीम ने काम शुरू कर दिया है।
इस टीम में प्रोफेसर ज्योति प्रकाश (जल विशेषज्ञ), जांगिड़ (स्ट्रक्चरल विशेषज्ञ) और वी एस वासुदेवन (जियोथर्मल विशेषज्ञ) को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि एक मंत्री समूह द्वारा भी इस तरह के पुराने पुलों की समीक्षा की जाएगी जिसकी जल्द ही घोषणा की जाएगी।
महाड़ पुल हादसे के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विधानसभा में हादसे की न्यायिक जांच की मांग की थी। शिवसेना के गोवा राज्य संपर्क प्रमुख शशिकान्त पर्वेकर ने 3 जुलाई 2013 को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था जिसमे मुंबई-गोवा हाइवे के सभी पुराने पुलों के खस्ताहाल पर चिंता जताई गई थी।
लापता लोगों खोजने के अभियान के दौरान अब तक 9 शव मिले हैं, लेकिन इनकी पहचान और इसी हादसे से कनेक्शन होने की अभी पुष्टि नहीं हुई है। हादसे की जगह से तक़रीबन 150 किलोमीटर दूर रत्नागिरी में आंजर्ला समुद्र किनारे एक शव मिला है। शव के शरीर पर खाकी वर्दी है इसलिए लोगों का अनुमान है कि यह शव पुल के साथ बही बस के ड्राइवर का हो सकता है।
एनडीआरएफ के कमांडेन्ट अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक उनकी टीम ने पानी में बड़ा चुम्बक डालकर वाहनों का पता लगाने की कोशिश की लेकिन यह चुम्बक पुल के पास जमीन में किसी वस्तु से चिपका है या फिर मिट्टी या पत्थरों में फंस गया है।
चुम्बक के निकलने के बाद ही सच्चाई का पता लग सकेगा। पानी की सतह पर 8 से 10 किलोमीटर तक घूमकर लापता वाहनों को तलाशने की कोशिश की जा रही हैं जिसमे स्थानीय प्रशासन और गांव वाले भी जुटे हैं।