मुंबई। गुजरात की मिस्बाह कादरी ने आरोप लगाया है कि उन्हें मुंबई की एक हाउसिंग सोसाइटी ने फ्लैट से मुस्लिम होने के चलते निकाल दिया। कादरी ने बुधवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से इसकी शिकायत की है।
सोसाइटी ने आरोप को गलत बताया है। पिछले सप्ताह गुजरात के ही एक एमबीए ग्रैजुएट ने हीरा कंपनी पर मुस्लिम होने के चलते नौकरी नहीं देने का आरोप लगाया था। अल्पसंख्यक आयोग इस आरोप की जांच कर रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार 25 साल की कम्युनिकेशंस प्रोफेशनल मिस्बाह का कहना है, ‘पिछले दिनों मैं वडाला ईस्ट में एक प्लैट में रहने गई। जब वहां की सोसाइटी को पता चला कि मैं मुस्लिम हूं तो मुझे एक हफ्ते के भीतर ही निकाल दिया गया।’
मिस्बाह का कहना है कि इससे पहले लोअर परेल में पीजी लेते वक्त ब्रोकर ने कहा था कि अगर यहां रहना है तो आप मुस्लिम कपड़े न पहनें और अपना परिचय ना उजागर करें।
जिस सांघवी हाइट्स सोसाइटी पर आरोप लगा है, उसके सुपरवाइजर राजेश ने कहा, ‘फ्लैट से निकाले जाने का कारण ब्रोकर और टेनेंट के बीच का विवाद है।
बिल्डिंग में मुस्लिमों को रहने दिया जाता है, कई परिवार रहते हैं। यह विवाद ब्रोकर और महिला के बीच का है। इससे सोसाइटी का कोई लेना-देना नहीं है।’
महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य गुलजार आजमी ने इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, इससे पहेल मुंबई में कभी ऐसा नहीं होता था।
जब से नई सरकार बनी है और हिंदूवादी संगठन सक्रिय हुए हैं, तब से ऐसा हो रहा है। वे नहीं चाहते हैं कि मुसलमान अमन-चैन से रह सकें। महिला मेरे दफ्तर में आकर मिले तो मैं कोशिश करूंगा कि इस समस्या का हल निकले।
हम कोशिश करेंगे कि उसे न्याय मिले। इधर, विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता (वीएचपी) सुरेंद्र जैन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई हिंदू किसी को मुस्लिम होने के कारण किसी को फ्लैट नहीं दे।
कुछ लोग और संगठन मुस्लिम समाज के अंदर भय का माहौल बना कर अपनी दुकान चलाने की कोशिश कर रहे हैं।