नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी और पांच नाबालिग बच्चों की हत्या के दोषी ढाल सिंह देवांगन को 2:1 के बहुमत से फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ढाल सिंह को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस रंजन कुमार गोगोई और जस्टिस यूयू ललित ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया जबकि जस्टिस पीसी पंत ने फांसी की सजा बरकरार रखे जाने पर मुहर लगाई।
बहुमत के फैसले में कहा गया कि परिस्थिजन्य साक्ष्य ऐसे होने चाहिए जो घटना को पूर्णता की ओर ले जाएं और कोई संदेह पैदा न हो। उनके मुताबिक सारी परिस्थितियां साक्ष्यों की पूरी कड़ी नहीं बनाते। जिससे सजा के लिए ठोस नतीजे पर पहुंचा जाए।
वहीं अल्पमत के फैसले में जस्टिस पंत ने कहा कि अभियोजन अभियुक्त को दोषी साबित करने में विफल रहा। उन्होंने पाया कि गवाहों के बयान और साक्ष्य ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में लिए गए लेकिन जस्टिस ललित ने कहा कि ये बयान घटना की कड़ी को पूर्ण नहीं करती हैं।
12 फरवरी 2012 को ढाल सिंह देवांगन और उसका परिवार नागपुर से रिश्तेदार के यहां शादी से लौट रहा था। उसी दिन आधी रात में उसने अपनी पत्नी थानेश्वरी और पांच नाबालिग बच्चों की धारदार हथियार से हत्या कर दी। उस धारदार हथियार का उपयोग वह मुर्गी काटने में करता था।
इस मामले की एकमात्र गवाह अभियुक्त की मांग केजा बाई थी जिसने इस भयावह घटना को देखा था लेकिन वो गवाही से मुकर गई। दुर्ग के ट्रायल कोर्ट ने धारा ढाल सिंह को 302 का दोषी पाते हुए फांसी की सजा दी। 2013 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के सजा के फैसले पर मुहर लगाई।
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