नई दिल्ली। देश में मुस्लिम समाज के बीच तीन तलाक को लेकर चर्चा गरम हो गई है। यह मामला जहां न्यायालय की दहलीज पर फैसले की बाट जोह रहा है, वहीं अलग-अलग संगठन भी इसके सभी पहलुओं को लेकर बहस-मुबाहिसा कर रहे हैं।
इन बहसों में मुस्लिम महिलाओं की ओर से भी यह मांग उठ रही है कि उन्हें भी तलाक देने का अधिकार मिलना चाहिए और बहुविवाह की प्रथा समाप्त होनी चाहिए। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संयोजक नूरजहां सफिया नाज़ ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से कम नहीं होनी चाहिए।
साथ ही मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक देने का अधिकार होना चाहिए। बहुविवाह खत्म होना चाहिए। बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में न्यू एज इस्लाम फाउंडेशन के द्वारा “तीन तलाकः विषय और मतभेद” पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए नूरजहां सफिया नाज ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में किसी भी बातचीत का शुरुआती बिंदु मुस्लिम पर्सनल लॉ में जरूरी सुधार होना चाहिए।
उधर, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संयोजक ज़किया सोमन ने कहा है कि मौजूदा वक्त में मुस्लिम पर्सनल ला में व्यापक सुधारों की ज़रूरत है। ये वर्तमान रूप में महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण है। इतना ही नहीं, महिलाओं के जीवन से जुड़े कई मामलों पर मुस्लिम पर्सनल ला खामोश है।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए न्यू एज इस्लाम फाउंडेशन के संस्थापक सुल्तान शाहीन ने कहा कि तलाक के मामले में मुसलमान कुरान के तरीके का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा कि मुस्लिम उलेमाओं को पर्याप्त समय मिला कि वो आवश्यक परिवर्तन खुद कर सकें लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ऐसे में स्वाभाविक रूप से मुस्लिम महिलाओं को इसके लिए सामने आना चाहिए। पुणे स्थित प्रोग्रेसिव मुस्लिम फोरम के सैयद भाई ने बताया कि 18 साल की उम्र में उनकी अपनी बहन का तलाक हो गया और किस तरह इस घटना ने उनके पूरे परिवार का जीवन पर ज़बरदस्त नकारात्मक प्रभाव डाला।
इस मौके पर सैयद भाई ने कहा कि तीन तलाक की वर्तमान व्यवस्था के पालन को शैतानी काम कहा और उन्होंने ये भी कहा कि इसका समर्थन करने वाले इस्लाम और महिलाओं के दुश्मन हैं।