नई दिल्ली। आवश्यक वसा अम्ल और प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स के आदर्श अनुपात वाला सरसों का तेल स्वास्थ्यवर्धक खाद्य तेलों में से एक है, जो दिल के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार स्वाद से तीखे सरसों के तेल में लगभग 60 प्रतिशत मोनोसैचुरेटेड वसा अम्ल (एमयूएफए), 21 प्रतिशत पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (पीयूएफए) और लगभग 12 प्रतिशत संतृप्त वसा होती है।
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द्वारका स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल की रीति कपूर ने कहा कि स्वास्थ्यवर्धक वसा कहलाने वाले उच्चस्तरीय एमयूएफए और पीयूएफए अच्छे कोलेस्ट्रॉल को सुधारने के साथ ही हृदय के स्वास्थ्य और निम्न बुरे कोलेस्ट्रॉल को भी ठीक स्तर पर बनाए रखता है।
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इसके अलावा इसमें 1:2 आदर्श अनुपात में छह प्रतिशत ओमेगा-3 वसा अम्ल (एन-3) और 15 प्रतिशत ओमेगा-6 (एन-6) सहित दो आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। ये हृदय के लिए बहुत लाभकारी माने जाते हैं, क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित करते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि सरसों का तेल शरीर में ट्राइग्लीसराइड्स (रक्त में पाया जाने वाला वसा) को कम कर हृदय को स्वस्थ रखता है।
गुड़गांव में कोलंबिया एशिया अस्पताल की पोषण विशेषज्ञ परमीत कौर ने कहा कि हृदय अनुकूल तेल को कोलेस्ट्रॉल और असंतृप्त वसा रहित, निम्न संतृप्त वसा, उच्च मोनोअनसैचुरेटेड वसा और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा युक्त होना चाहिए। इसके अलावा तेल में एन6 से एन3 अम्ल का आर्दश अनुपात होना चाहिए। सरसों का तेल इन सभी मानदंडों को पूरा करता है।
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इस शोध के अनुसार, खाना पकाने में सरसों के तेल के उपयोग से हृदय रोग के सबसे सामान्य प्रकार कोरोनरी आर्टरी डिसीस (सीएडी) की संभावना लगभग 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है। यह रक्त के प्रवाह को ठीक करने और शरीर को उच्च रक्तचाप से बचाता है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों का तेल जैतून तेल से भी अधिक फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही यह वनस्पति तेल जैसे अन्य रिफाइंड तेल से भी बेहतर होता है।
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पुरी ऑइल मिल्स लिमिटेड के डीजीएम (कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशंस) उमेश वर्मा का मानना है, “पांच गुना महंगे जैतून के तेल में ओमेगा-6 (एन6) और ओमेगा-3 (एन3) वसा अम्ल आर्दश अनुपात नहीं होता है, जो हृदय की जलिटलताओं को रोकने में कारगर होता है। जबकि सरसों के तेल में इसका अनुपात 1.2 का होता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुसंशित अनुपात 1.25 के काफी करीब है।”
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सरसों के तेल का इस्तेमाल भोजन के अलावा कई अन्य कामों जैसे शरीर और नवजात शिशुओं और वयस्कों के शरीर और बाल की मालिश में किया जाता है। इसका पेट और त्वचा के रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
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तेल के उत्पादन के दौरान बीटा कैरोटीन विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है, जो बालों को बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है। इसके अलावा इसमें लौह तत्व, वसा अम्ल, कैल्शियम और मैग्नीशियम भी पाए जाते हैं, जो बालों के पोषण में मदद करते हैं। यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कॉर्डियोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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