ढाका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां बांग्लादेश के दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन दोनों देशों के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया को विस्तारवाद नहीं बल्कि विकास चाहिए।
उन्होंने कहा कि मेरा दो दिवसीय दौरे समाप्त हो रहा है लेकिन मुझे लग रहा है कि मेरी यात्रा अब शुरु हो रही है। साथ ही मोदी ने बांग्लादेश को 1000 मेगावाट बिजली देने की घोषणा करते हुए कहा कि सूर्य की किरणें पहले बांग्लादेश पर पड़ती हैं तो उसके बाद हमारे देश में आती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाका के बंगबंधु अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सेंटर में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बांग्ला भाषा में संबोधन करते हुए कहा कि लोगों को लगता है कि हम पड़ोसी हैं, लेकिन अब लोग मानेंगे कि हम पड़ोसी ही नहीं साथ चलने वाले देश हैं।
मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की विकास की यात्रा अब रुकने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना का सपना देश को विकास की ओर ले जाने का है। मोदी ने कहा कि हम बांग्लादेश को साथ लेकर चलेंगे।
उन्होंने कहा कि जो सम्मान मुझे यहां मिला है वो मेरा नहीं 125 करोड़ भारतवासियों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ मेरा भावनात्मक रिश्ता है।
बांग्लादेश में बार-बार राजनीतिक संकट आए हैं, लेकिन उसके बावजूद बांग्लादेश 6 फीसदी की विकासदर हासिल कर रहा है और यह कोई छोटी बात नहीं है।
उन्होंने अपने भव्य स्वागत के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मंत्रिगणों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह केवल नरेंद्र मोदी का स्वागत नहीं है बल्कि सवा सौ करोड जनता का स्वागत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के इस ऐतिहासिक बातचीत और समझौते का पूरा विश्व पोस्टमार्टम करेगा। कोई तराजू लेकर तौलेगा कि हमने क्या खोया और क्या पाया। उन्होंने कहा कि दुनियां के लोग सोंचते हैं कि हम पास-पास हैं लेकिन उन्हें अब स्वीकार करना होगा कि हम पास-पास और साथ-साथ भी हैं।
मोदी ने भूमि सीमा समझौते पर कहा कि यह भूमि समझौता केवल भूमि की अदला-बदली का समझौता नहीं है बल्कि यह दो दिलों को जोडने का समझौता है। उन्होंने कहा कि दुनियां जमीन के लिए लड़ते-मरते हैं लेकिन हमने जमीन को ही संबंधों का सेतू बनाकर खड़ा कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं बांग्लादेश में हो रहे जुल्म के बारे में पढ़ता था तो जिस तरह आप लोगों का खून खौलता था वैसे मेरा भी खून खौलता था। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य रहा कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए चल रहे सत्याग्रह में मुझे भी शामिल होने का मौका मिला।
मोदी ने बांग्लादेश सरकार द्वारा भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मानित किये जाने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने अंतरिक्ष कार्यक्रम में भी सहयोग की बात कही।
नकली नोट के बहाने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि नकली नोट कोई और फैलाता है और बदनामी बांग्लादेश की होती है। उन्होंने आतंकवाद के बारे में कहा कि आज आतंकवाद से पूरी दुनियां जूझ रही है लेकिन संयुक्त राष्ट्र तक को आतंकवाद को खत्म करने का रास्ता नहीं मिल रहा है।
आतंकवाद को उन्होंने मानवता का दुश्मन बताया। मोदी कहा कि हमें विस्तारवाद नहीं विकासवाद चाहिए। उन्होंने बांग्लादेश को 1000 मेगावाट बिजली देने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया का हर छटवां व्यक्ति भारतीय है। लेकिन शांति के बारे में बात करने का हक नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को अब तक जगह नहीं मिल पाई है। संयुक्त राष्ट्र को अब इस बात को समझनी चाहिए। आज भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए तरस रहा है। जिस देश ने बांग्लादेश पर जुल्म किया उस देश के 90 हजार सैनिकों का हमने आत्मसमर्पण कराया। यह एक घटना काफी सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए। हम गरीब देशों को एक साथ मिलकर विश्व मंच पर आगे बढ़ना है।
मोदी ने कहा कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं है। आतंक से जुड़े लोगों ने क्या पाया, उन्होंने दुनिया को क्या दिया। आतंकवाद मानवता के खिलाफ है। आतंकवाद को हराने के लिए मानवतावादी देशों को एक होना अनिवार्य है। मानवता की रक्षा के लिए आगे बढ़ना है। बांग्लादेश ने आतंकवाद के खिलाफ जो जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है उसका मैं स्वागत करता हूं। हमें टूरिज्म को बढ़ावा देना है।
टूरिज्म दुनिया को जोड़ता है जबकि आतंकवाद दुनिया को बांटता है। पक्षी, पवन और पानी को वीजा नहीं लगता है। गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों पर हम साथ-साथ चले हैं। मानवीय मूल्यों के आधार पर पानी का समाधान होना चाहिए। तीस्ता पर भी समाधान निकलेगा।
प्रयास होने चाहिए तभी परिणाम मिलता है। कभी-कभी सीमा पर तनाव हो जाता है। गोली यहां से चली वहां से चली यह महत्व नहीं है बल्कि इसमें गरीब मारा जाता है। 40 घंटे के दौरे में सबकुछ नहीं हो सकता। अभी भी मुझे बहुत काम करना है। जहां बुद्ध होंगें वहां युद्ध नहीं हो सकता।
वक्त बहुत बदल चुका है। आज का युवा पूरी दुनिया को अपनी बाहों में समेट लेना चाहता है। हमें ब्लू इकॉनमी पर काम करने की जरूरत है। कनेक्टिविटी आज के समय में जरूरी है। सार्क के चार देश भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान कनेक्टिविटी के रास्ते पर चल पड़े हैं। सब देश बांग्लादेश नहीं हो सकते। कोई भी देश चाहे कितना भी ताकतवर हो उसकी अकेले नहीं चल सकती है। दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है।
उन्होंने गरीब देशों की गतिविधियों पर दुनिया की नजर कम होती है। बांग्लादेश ने कुछ क्षेत्रों में अप्रतिम विकास किया है। बांग्लादेश की तरक्की देखकर आनंद आता है। कपड़ा निर्माण की दुनिया में बांग्लादेश नंबर दो पर है। सूरज यहां निकलता है फिर भारत में रौशनी पड़ती है।
भारत की तरह बांग्लादेश में भी 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम की है। अब बांग्लादेश की विकास की गाथा रुक नहीं सकती है। भारत और बांग्लादेश के पास एक जैसी युवा शक्ति है। दुनिया अब बहुत बदल चुकी है।