नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के मुख़्यमंत्री के तौर पर नबाम तुकी ने भले ही बुधवार देर शाम कार्यभार संभाल लिया हो लेकिन उनके पास बहुमत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बुधवार से ही सियासी गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अरुणाचल की कमान किसके हाथ होगी? क्योंकि शीर्ष कोर्ट का फैसला आने के बाद कलिखो पुल प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिसंबर 2015 जैसी स्थिति बहाल करने को कहा गया था। कई महीनों के राजनीतिक संकट से जूझने के बाद इसी साल फरवरी में बीजेपी के समर्थन से अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनी थी।
नबाम तुकी को राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर फिर से बहाल किया गया है और उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया है लेकिन उनको अभी बहुमत साबित करना होगा। अरुणाचल विधानसभा में 60 विधायक हैं और किसी को भी बहुमत साबित करने के लिए 31 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है।
खास बात यह है कि नबाम तुकी से नाराज होकर 20 विधायक दिसंबर में ही बागी हो चुके हैं। साथ ही दो की सदस्यता पर पहले ही हाईकोर्ट सवाल उठा चुका है। अरुणाचल प्रदेश राजनीतिक स्तर पर बहुत रोचक बन गया है। अब देखना होगा कि ये लड़ाई आखिरकार कौन जीतेगा।