चंडीगढ़। पंजाब के नाभा जेल पर हुए हमले की आशंका पहले से ही थी। गृह मंत्रालय ने समय रहते इस बारे में कई तरह के इनपुट पंजाब पुलिस को दे भी दिए थे, लेकिन पंजाब पुलिस तथा पंजाब सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
पंजाब में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में इस तरह की घटना ने जहां राज्य सरकार को हिलाकर रख दी हैं वहीं यह घटना सरकार के लिए बड़े खतरे की घंटी है। प्रारंभिक जांच में कई बाते ऐसी सामने आ रही हैं जिसमें पुलिस विभाग की कोताही व ढिलाई से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही पंजाब पुलिस को इस बारे में एक सक्रुलर भेजकर चेतावनी दी थी। गृह मंत्रालय ने साफ किया था कि पंजाब की जिन जेलों में खतरनाक पृष्ठभूमि वाले आतंकवादी बंद हैं उनकी सुरक्षा में वृद्धि कर दी जाए।
यही नहीं मंत्रालय ने यह भी कहा था कि जेलों में बंद उक्त आतंकियों से मुलाकात के लिए आने वाले लोगों पर भी नजर रखी जाए और इन आतंकियों को जेलों से बाहर रहने वाले अपने परिचितों से मिलने न दिया जाए।
गृह मंत्रालय ने अपने सक्रुलर में यह भी साफ किया था कि पंजाब में चुनाव हैं और पंजाब का माहौल बिगाड़ने के लिए यह आतंकी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। गृह मंत्रालय की इस चेतावनी को पंजाब सरकार ने बेहद हलके में लिया। जिसके चलते रविवार को फिर से खालीस्थान समर्थक आतंकी जेल के बाहर आ गया है।
रविवार को हुई घटना जहां राज्य सरकार के लिए बड़े खतरे की घंटी है वहीं इस घटना के बाद विपक्ष सरकार के प्रति आक्रामक हो गया है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस नेता मुनीष तिवारी समेत कई विपक्षी नेताओं ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।
गुरदासपुर तथा पठानकोट में हुए आतंकी हमलों के बाद इस तरह की घटना ने पुलिस के खुफिया तंत्र को पूरी तरह से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। चुनाव के समय में इस तरह के घटनाक्रम के बाद किसी प्रकार की अप्रिय घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पंजाब पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा के अनुसार पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए अलग-अलग टीमों का गठन कर दिया गया है। इस घटना के पीछे किसका हाथ है और यह किस साजिश का परिणाम है इसका पता बहुत जल्द चल जाएगा। आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
डेरासच्चा सौदा मुखी पर हमले का आरोपी था फरार आतंकी
पंजाब के पटियाला जिले की नाभा जेल से फरार हुआ खालीस्थान लिब्रेशन फोर्स का आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू शुरू से ही अलग सिख राष्ट्र का पक्षधर रहा है। पंजाब में आतंकवाद के समय में ही मिंटू तथा कुछ अन्य असमाजिक तत्वों ने वर्ष 1987 में अलग विचारधारा को मजबूत करते हुए आतंकी संगठन खालिस्थान लिब्रेशन फोर्स का गठन किया था।
इस फोर्स से जुड़े आतंकी शुरू से ही अलग सिख राष्ट्र के गठन की मांग को लेकर पंजाब में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देते रहे हैं। पंजाब में आतंकवाद का दौर समाप्त होने के बाद से ही खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर एकमत थी कि अब पंजाब से खालीस्थानी लहर पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।
कुछ गरमपंथी विचारधारा के लोग विदेशों में रहते हुए खालीस्थानी लहर का समर्थन जरूर कर रहे थे। पुलिस तथा खुफिया पुलिस के पास ऐसा कोई इनपुट नहीं था जिससे इस बात के संकेत मिलें की पंजाब में इस समय खालीस्थानी विचारधारा के लोग सक्रिय हैं।
नाभा जेल से हरमिंदर सिंह मिंटू व उसके साथियों की फरारी ने करीब एक दशक बाद इस बात के संकेत दे दिए हैं कि पंजाब में अभी भी खालिस्थानी विचाराधारा जिंदा है। जेल से फरार हुए हुए हरमिंदर सिंह मिंटू ने वर्ष 2008 के दौरान डेरासच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह पर जानलेवा हमला किया था।
इसके अलावा वर्ष 2010 में हलवारा स्टेशन से विस्फोटक पकड़े जाने के मामले में भी मिंटू पर ही आरोप था। यही नहीं मिंटू ने वर्ष 2011 में पंजाब में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़ा हमला करने की भी साजिश रची थी, जिसका पुलिस ने ऐन मौके पर भंडाफोड़ कर दिया था।
आतंकी मिंटू को 8 नवंबर 2014 को दिल्ली के हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। जेल में बंद होने के दौरान मिंटू के संदर्भ में खुफिया तंत्र की यही रिपोर्ट सार्वजनिक हो रही थी कि वह जेल की चारदीवारी से बाहर किसी के संपर्क में नहीं है और खालीस्थानी विचारधारा को लगभग त्याग चुका है। आज हुई घटना ने सभी तरह के इनपुट को झूठा साबित कर दिया है।
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