Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
'हिंदुओं की पार्टी' होने के आरोप के चलते नगालैंड में नहीं बन पाई भाजपा की सरकार - Sabguru News
Home Breaking ‘हिंदुओं की पार्टी’ होने के आरोप के चलते नगालैंड में नहीं बन पाई भाजपा की सरकार

‘हिंदुओं की पार्टी’ होने के आरोप के चलते नगालैंड में नहीं बन पाई भाजपा की सरकार

0
‘हिंदुओं की पार्टी’ होने के आरोप के चलते नगालैंड में नहीं बन पाई भाजपा की सरकार

naga poli

कोहिमा। देश में धर्म और जातियों के आधार पर राजनीति बड़े फायदे का मुद्दा है। इसके आधार पर कई बार ऐसे विधायक व सांसद चुन लिए जाते हैं, जिनकी जगह असल में जेलों में होनी चाहिए। नगालैंड में धर्म की राजनीति के चलते भाजपा की सरकार बनते-बनते रह गई।

सोमवार की सुबह 10 बजे नगालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के विधायकों की नए नेता को चुनने के लिए बैठक आयोजित की गई। हालांकि पिछले तीन दिनों के दौरान जो घटनाक्रम घटा, उससे साफ हो गया था कि एक बार फिर से नेफ्यू रियो के नेतृत्व में सरकार बनेगी।

हालांकि यह सरकार एनपीएफ की न होकर भाजपा की होगी। लेकिन विधायकों की बैठक में बाजी अचानक पलट गई। बाजी पलटने के आसार बीती रात को तब से दिखने लगा था जब मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसका आभास नेफ्यू रियो को भी हो गया था।

ज्ञात हो कि नेफ्यू रियो को एनपीएफ के अध्यक्ष डा. सुरहोजेले लेजित्सु ने पार्टी से 6-7 माह पहले ही निलंबित कर दिया था। वे किसी भी कीमत पर रियो की पार्टी में पुनः वापसी के पक्ष में नहीं थे। ऐसे में माना जा रहा था कि एनपीएफ के बागी विधायक रियो को अपना नेता चुन लेंगे।

यह भी पढें : नागालैंड में फिर नाटकीय मोड़, डॉ सुरहोजेले लेजित्सु होंगे नए सीएम

विश्वस्त सूत्रों ने दावा किया है कि विधायकों की बैठक में एनपीएफ के 18 से 20 विधायकों ने रियो का तो समर्थन किया लेकिन भाजपा का यह कह कर विरोध कर दिया कि यह पार्टी (भाजपा) हिंदुओं की पार्टी है।

उल्लेखनीय है कि नगालैंड क्रिश्चियन बहुल राज्य है। यहां पर कांग्रेस लंबे समय से राज करती रही है। कुल मिलाकर राज्य में साम्प्रदायिक राजनीति खुलकर देखी जा रही है। सूत्रों ने दावा किया है कि रियो के विरोध के पीछे कांग्रेस का हाथ है।

कांग्रेस पार्टी जेलियांग और पार्टी अध्यक्ष डा. सुरहोजेले लेजित्सु को यह समझाने में सफल हो गई है कि राज्य में भाजपा की सरकार किसी भी कीमत पर न बनने दें। जब राज्य में मुख्यमंत्री बदलने का मुद्दा उठा और एनपीएफ के 40 विधायकों द्वारा तत्कलीन मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग का विरोध किए जाने और डा. सुरहोजेले लेजित्सु को अपना नेता चुनने का मुद्दा उठा तो उन्होंने (डा. सिरहोजेले) ने यह कह कर सबको चौंका दिया कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते। साथ ही उन्होंने जेलियांग को मुख्यमंत्री बनाए रखने की भी बात कही थी।

लेकिन अचानक रियो के मुख्यमंत्री बनते और राज्य में भाजपा की सरकार बनते देख डा. सुरहोजेले लेजित्सु विधायकों द्वारा उनके नाम को चुने जाने को मानते हुए मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हो गए।

ऐसे में कांग्रेस ने पर्दे के पीछे रहकर राज्य में एक साम्प्रदायिक कार्ड की राजनीति खेलते हुए भाजपा को सत्ता से दूर रखने की चाल चल दी जिसमें उसको सफलता भी मिल गई। इस राजनीति में कांग्रेस के अलावा अन्य प्रभावशाली तत्वों का भी हाथ बताया जा रहा है।