कोहिमा। नागालैंड की राजनीति में सोमवार को एक बार फिर नाटकीय मोड़ देखने को मिला। पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद नेफ्यू रियो के अरमानों पर पानी फिर गया।
नागालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की बैठक में पार्टी के अध्यक्ष डॉ सुरहोजेले लेजित्सु को पार्टी विधायक दल का नेता चुनते हुए उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुन लिया गया।
सुबह 10 बजे हुई पार्टी विधायकों की बैठक में एनपीएफ के 48 विधायकों ने सर्वसम्मति से डॉ सुरहोजेले लेजित्सु को पार्टी विधायक दल का नेता चुना।
ज्ञात हो कि नगालैंड के 60 सदस्यीय विधायकों में एनपीएफ के कुल 48 विधायकों में से 18 से 20 विधायकों ने राज्य में भाजपा की सरकार बनाने का विरोध किया, जिसके बाद नेफ्यू रियो की उम्मीदें धराशाई हो गई।
80 वर्षीय डॉ सुरहोजेले लेजित्सु ने रियो के निलंबन को वापस लेने से साफ तौर पर मना कर दिया था। ऐसे में एनपीएफ के बागी विधायकों को साथ लेकर रियो ने भाजपा में शामिल होने की रणनीति बनाई थी, लेकिन ऐन मौके पर विधायकों ने रियो का साथ छोड़ दिया।
जिसके बाद रियो ने भी जेलियांग के बदले डॉ सुरहोजेले लेजित्सु को मुख्यमंत्री बनाए जाने को अपनी सहमति दे दी। माना जा रहा है कि देर शाम तक डॉ सुरहोजेले लेजित्सु राज्यपाल पी.बी. आचार्य के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर देंगे।
पी.बी. आचार्य अरुणाचल प्रदेश के भी प्रभारी राज्यपाल हैं। ऐसे में उन्हें सोमवार को अरुणाचल प्रदेश राज्य स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए जाना था, लेकिन ऐन मौके पर उनके कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। वे अब भी नगालैंड के राजभवन में मौजूद हैं।
नागालैंड की राजनीति में अचानक आए बदलाव की वजह असम के काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क के रिसॉर्ट में 18 फरवरी को एनपीएफ के विधायकों की हुई बैठक से डॉ सुरहोजेले लेजित्सु काफी नाराज थे।
वे नहीं चाहते थे कि किसी भी कीमत पर नेफ्यू रियो को फिर से राज्य की कमान सौंपी जाए। इसका कारण यह है कि डा. सुरहोजेले लेजित्सु और नेफ्यू रियो दोनों एक ही अंगामी समुदाय से आते हैं।
दोनों की राजनीतिक क्षेत्र एक होने के चलते आपसी मनमुटाव लंबे समय से बरकरार है। एक-दूसरे को दोनों पसंद नहीं करते हैं। पहले जहां एनपीएफ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन बदले हालात के मद्देनजर डॉ सुरहोजेले लेजित्सु ने नेफ्यू रियो को रोकने के लिए मुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया।