जम्मू। मंगलवार को नगरोटा में हुए आतंकी हमले में तीन आतंकियों को मार गिराए जाने के बाद सेना ने देर रात तलाशी अभियान बंद कर दिया था जिसे बुधवार सुबह फिर शुरू किया गया।
शाम होते-होते सेना ने तीनों आतंकियों के शवों को बरामद कर तलाशी अभियान समाप्त कर दिया। आतंकियों से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं।
सेना ने आतंकियों से मिले कुछ ग्रेनेडों व विस्फोटक पदार्थों को डिफ्यूज कर दिया जिसके दो बार जोरदार धमाके भी सुनाई दिए। इस दौरान इस क्षेत्र में हर प्रकार की आवाजाही बंद रखी गई और स्थानीय लोगों को भी घरों में ही रहने को कहा गया।
पूरे जम्मू में हाई अलर्ट रखा गया है। सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग भी आज नगरोटा के उस कैंप में पहुंचे जहां आतंकियों ने मंगलवार को हमला किया था।
सेना प्रमुख ने घटना स्थल पर पहुंचकर आतंकी हमले की जानकारी हासिल की और सुरक्षा परिस्थितियों का जायजा लिया। सेना प्रमुख द्वारा इस हमले में शहीद वीर जवानों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
मिली जानकारी के अनुसार आतंकियों से एक पर्चा भी मिला है जिस पर लिखा था कि अफजल की मौत का बदला लेने आए थे। इस हमले को संसद भवन पर हुए आतंकी हमले में मौत की सजा पाए अफजल गुरु के बदले के तौर पर देखा जा रहा है।
इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का हाथ बताया जा रहा है। इन आतंकियों के पास से जो सामान मिला है उस पर मेड इन इंडिया की छाप लगी है जिससे ये साबित होता है कि आतंकियों को स्थानीय मदद मिली है।
सुरक्षा एजेंसियां भी मान रही हैं कि बिना स्थानीय मदद के सीमा से कैंप तक आतंकियों का पहुंचना आसान नहीं था। सेना व सुरक्षा एजेंसियां इस हमले की कड़ियों को जोड़ने में जुट गई हैं।
बताया जा रहा है कि खुफिया एजेंसियों द्वारा 29-30 नवम्बर को आतंकी हमले की आशंका जताई गई थी किन्तु उसके बाद भी नगरोटा जैसे क्षेत्र में आतंकी हमला होना कहीं न कहीं सुरक्षा व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े कर रहा है।
बताया जा रहा है कि जिस वक्त आतंकियों ने हमला किया उस वक्त सेना कैंप के गेट पर कोई भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था जिसके चलते ही आतंकी अंदर घुसने में कामयाब हो गए।
सेना के अधिकारियों ने इसका संज्ञान ले लिया है और ऐसा माना जा रहा है कि सेना कैंपों की सुरक्षा को और भी ज्यादा पुख्ता किया जाएगा। नगरोटा में यह आतंकी हमले की पहली घटना है।
नगरोटा में 16 कोर का मुख्यालय होने के साथ-साथ आयुद्ध डिपो भी है और इस पूरे क्षेत्र को सेना छावनी के रूप में जाना जाता है।
गौरतलब है कि मंगलवार को सेना के कैंप पर हुए इस आतंकी हमले में दो अधिकारी और पांच जवान शहीद हो गए थे।
सेना ने हमले में शामिल तीनों आतंकियों को मार गिराया था। मंगलवार रात में अंधेरे के कारण सेना ने कांबिंग ऑपरेशन बंद कर दिया था जिसे आज सुबह फिर शुरू किया गया था।
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