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nakki lake is dieng out, no-one cares in kashmir of rajasthan
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बदहाल नक्की: करोड़ों की कमाई ख़र्च धेले का नहीं

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बदहाल नक्की: करोड़ों की कमाई ख़र्च धेले का नहीं
nakki lake Mount abu
slop water of nakki lake

परीक्षित मिश्रा-सिरोही/माउंट आबू। माउंट आबू के लोगों के एक व्हाटस अप समूह मेंनक्की झील से जुड़ी एक फ़ोटो ओर बदहाल नक्की पर किए गए राजनीतिक कमेंट ने समूह के बहसवीरों में शाब्दिक द्वंद्व छिड़ गया। कॉमेंट डालने वाले क्यूँकि कोंग्रेस पार्टी के पार्षद और नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष थे इसलिए भाजपा का कूदना लाज़िमी था।

ऐसे में भाजपा के ज़िला उपाध्यक्ष ने कमान सम्भाली और् सवाल दाग़ दिया कि उनकी पार्टी ने क्या किया था जब सत्ता में थे तब। इस बहस में मूल मुद्दा फिर खो गया। वो था नक्की के हरे होते पानी की।
हर साल करोड़ों रुपया माउंट आबू नगर पालिका को देने वाली इस नक्की झील के उपचार के लिए यहाँ पर क़ाबिज़ होने वाली राजनीतिक पार्टियों में और् भारत की सर्वोच्च सेवा से लगाने वाले प्रशासनिक अधिकारियों ने इसका मर्ज़ ढूँढने का प्रयास नहीं किया। नक्की की सफ़ाई के नाम पर साल में एकाध बार हर पालिकाध्यक्ष, सत्ताधारी पार्टी के नेता, कथित समाजसेवी ओर पर्यावरण विद, प्रशासनिक अधिकारी मात्र तगारी उठाकर फ़ोटो खिंचाते हैं ओर कर्तव्य की इतीश्री कर लेते हैं।

करोड़ों रुपए की कमाई वाली इस नक्की झील की स्थिति उस कमाऊ बुजुर्ग की तरह कर दी है जो सबकुछ कमाकर माउंट आबू को दे देता है पर माउंट आबू उसे हमेशा की तरह बीमार हाल मे मरने को छोड़ देता है। उसकी कमाई का चौथाई हिस्सा भी सही तरीक़े से नक्की के उपचार में ख़र्च किया होता तो नक्की झील के ये स्थिति नहीं होती।
-बीमारी का डायग्नोसिस किए बिना कर थे हैं उपचार
नक्की झील की बीमारी का डायग्नोसिस शायद अब तक नगर पालिका पर प्रशासन नहीं कर पाया है। इसका उपचार ठीक वैसे ही किया जा रहा है जैसे सिरदर्द पर कोई डिस्प्रिन लेकर करता है। ये जानने की कोशिश नहीं करता कि कहीं माइग्रेन की वजह से दर्द तो नहीं है।

नक्की की मूल बीमारी है इसमें जमने वाली काई। इसके कारण नक्की में काई की बढ़ौतरी हो रही है। ये काई मूल रूप से पानी में फास्फोरस की मात्रा बढ़ने से होती है। पानी में जितना नाइट्रोजन पर फ़ास्फोरस बढ़ेगा काई उतनी ज़्यादा बनेगी।
-सन्तुलित करनी होगी फ़ास्फोरस की मात्रा
नक्की झील के हरे पानी को साफ़ करने के लिए इसकी तलछट पर जमी काई को नाव आदि से साफ़ करने के अलावा नगर पालिका को फ़ास्फोरस और नाइट्रोजन को बैलेन्स करने के लिए तकनीकी रूप से कुशल लोगों ओर कंपनियों के साथ काम करना होगा।

बारिश में नक्की के ओवेरफ्लो होने के बाद ये काई तेज़ी से फैलती है। इसका कारण नक्की के आवाह क्षेत्रों में ज़मीन और चट्टानों में फ़ास्फोरस ओर नाइट्रोजन की मौजूदगी। बारीश के सीधे पानी में भी ये दोनो तत्व मिलते हैं। जो बारिश में पानी के साथ इसमें पहुँच जाती है। प्राकृतिक तरीक़ों से फ़ास्फोरस ओर नाइट्रोजन की मात्रा पानी में नियंत्रित करने से नक्की में जमने वाली काई के कारण हरे हो चुके पानी को साफ़ किया जा सकता है।
-इनका कहना है….
काई पादप है। पानी में नाइट्रोजन ओर फ़ास्फोरस की मात्रा बढ़ने से ये पैदा होती है। काई तरह के स्नेल्स ओर मछलियाँ हैं जो इन्हें खाकर झील के एकों सिस्टम को मेंट्नेन्स कर सकती हैं।
वर्षा मिश्रा
पीजीटी बायलोजी
सेंट पोल्स स्कूल, सिरोही।
काई को प्रकृतिक तरीक़े से ख़त्म किया जा सकता है। एक बार ये खटक होगी पर सूर्य की रोशनी झील की तल तक पहुँचने लगेगी तो पूरी झील का ईको-सिस्टम फिर से ड़वलप हो जाएगा।
डॉक्टर संजय पुरोहित
व्याख्याता, वनस्पति विज्ञान
राजकीय महाविद्यालय सिरोही।

वैसे नगर पालिका आयुक्त का प्रभार Uit आबूरोड  सचिव को दे दिया है, वैसे बोअर्द की पिछ्ली बैठक मे नक्की झील के विकास पर पैसा खर्च करने पर सहमति बनी है।

सुरेश ओला

उपखंड अधिकारी, माउंट आबू।