गुना। पत्रकारों को देवऋषि नारद से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होने जो किया वो लोकहित को ध्यान में रखकर किया। उनका भक्ति सूत्र अतुलनीय है। सुशासन के सारे सूत्र भक्ति सूत्र में समाहित है। इसलिए उन्हे देवऋषि की संज्ञा दी गई है। यह बात जनसंपर्क विभाग के पूर्व संचालक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा ने कही।
आहुजा स्व. नाथूलाल मंत्री जनकल्याण न्यास द्वारा देवऋर्षि नारद की जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। वन मंडल परिसर के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह दिनेश शर्मा ने की। मंच का सफल संचालन राष्ट्रवादी संगटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचार प्रमुख गोपाल स्वर्णकार ने किया।
भारतीय मूल्यों की वकालात करें
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता श्री आहुजा ने कहा कि पत्रकार जगत में पत्रकार कहीं भी किसी भी पद पर रहे, किन्तु वह भारतीय मूल्यों की वकालात करतें हुए अपनी राष्ट्रवादी भूमिका का निर्वहन करते है। वह नारदजी की तरह जो भी करें वह राष्ट्र हित, लोक हित को ध्यान में रखकर करें। नारदजी पहले पत्रकार थे और उनके जैसे पत्रकार तो आज कहीं नहीं है। जनसंपर्क विभाग में भी उनके जैसा कोई नहीं है।
आहुजा के अनुसार आज पत्रकारों में जो विसंगतियां सामने आ रहीं है, उसका कारण पत्रकारों के लिए आचरण संहिता का नहीं बन पाना है। पत्रकारों को नारदजी का स्मरण करते हुए कार्य करना चाहिए। आहुजा ने पत्रकारों से अपेक्षा की, कि खबर की विश्वसनीयता को बनाए रखे। कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए दिनेश शर्मा ने भी नारद जी से प्रेरणा लेते हुए कार्य करने की अपेक्षा पत्रकारों से की।
पत्रकारिता का मूल्य सिद्धांत विश्वसनीयता
आहुजा ने कहा कि पत्रकारिता का सबसे पहला और मूल सिद्धांत है खबर की विश्वसनीयता। यह विश्वसनीयता नारदजी ने स्थापित की थी, उनकी सूचनाओं पर कोई अविश्वास प्रगट नहीं कर पाता था।
नारदजी ने जनहित के लिए इस लोक से उस लोक तक सूचनाओं का आदान प्रदान किया। नारद जी ने समाज हित में ही सूचनाओं का आदान प्रदान किया।
इस मौके पर आहूजा ने कहा कि पत्रकार देश की संस्कृति से जुड़े मामलों का समर्थन चलते हुए अपनी कलम चलाएं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि देश में कुछ घोटाले उजागर हुए है जिसमें पत्रकारों के नाम आए हैं। कार्यक्रम में गीत की प्रस्तुति सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य सुरेश शर्मा ने दी। कार्यक्रम में आभार अनिल भार्गव ने माना।