नई दिल्ली। CBI ने रियो ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा रहे पहलवान नरसिंह यादव के खाने में प्रतिबंधित ड्रग्स मिलाये जाने के मामले में मंगलवार को मामला दर्ज कर लिया।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि जांच एजेंसी ने नरसिंह यादव से जुड़े डोप मामले की जांच का जिम्मा हरियाणा पुलिस से अपने हाथों में ले लिया। हरियाणा पुलिस ने सोनीपत के राई थाने में इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन जांच एजेंसी ने साजिश की जांच का जिम्मा अपने हाथ में लेने के बाद अलग से मामला दर्ज किया।
पहलवान नरसिंह अगस्त में हुए रियो ओलंपिक खेलों में भारतीय दल का हिस्सा थे लेकिन उनके मुकाबले से पूर्व ही खेल पंचाट (कैस) ने उनपर प्रतिबंध लगा दिया था। नरसिंह ने इस पूरे मामले को लेकर साजिश का आरोप लगाया था और सीबीआई से मामले की जांच कराने की मांग की थी।
सीबीआई ने ये केस हरियाणा सरकार के आग्रह तथा तत्पश्चात केन्द्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर दर्ज किया है। नरसिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने इस पूरे घटनाक्रम को साजिश बताते हुए सीबीआई से मामले की जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यह सब नरसिंह को रियो से रोकने और उनकी छवि खराब करने के इरादे से किया गया है। राष्ट्रीय संस्था ने गत माह सीबीआई को केस सौंपने की पुष्टि की थी। उन्होंने इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सामने भी रखा था।
नरसिंह पर रियो ओलंपिक से पूर्व राष्ट्रीय र्डोंपग रोधी एजेंसी (नाडा) ने डोप में पॉजिटिव पाने के बाद प्रतिबंध लगाया था, लेकिन बाद में नाडा ने पहलवान को क्लीनचिट देते हुए ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा बनने की अनुमति दे दी थी लेकिन रियो में बाउट से 24 घंटे पूर्व ही विश्व र्डोंपग रोधी एजेंसी (वाडा) ने मामले को सर्वोच्च खेल अदालत (कैस) के पास पहुंचा दिया जिसने नाडा के निर्णय को उलटते हुए नरसिंह पर प्रतिबंध लगा दिया था।
गौरतलब है कि नरसिंह ने यह भी दलील दी थी कि सोनीपत के साई सेंटर में ट्र्रेंनग के दौरान किसी जूनियर खिलाड़ी ने उनके खाने में साजिश के तहत मिलावट की थी।
रियो ओलंपिक से पूर्व भी 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में नरसिंह और ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के बीच ट्रायल की मांग को लेकर काफी विवाद हुआ था। सुशील ने ट्रायल कराने की मांग को लेकर अदालत में भी गुहार लगाई थी। लेकिन डब्ल्यूएफआई ने कोटा हासिल करने वाले नरसिंह को ही रियो भेजने का निर्णय किया था।