यंगून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को अपनी म्यांमार यात्रा के तीसरे व अंतिम दिन प्रसिद्ध श्वेगाडोन पैगोडा, अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की मजार पर गए और काली मंदिर में पूजा अर्चना की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि म्यांमार में सफल व रचनात्मक द्विपक्षीय बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के लिए प्रस्थान किया।
मोदी ने श्वेगाडोन पैगोडा में एक पौधा भी लगाया। यह म्यांमार का सबसे पवित्र बौद्ध पैगोडा है जहां भगवान बुद्ध के सिर के बाल रखे हुए हैं।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोबेल विजेता व म्यांमार की विदेश मंत्री आंग सान सू की के पिता आंग सान और म्यांमार की स्वतंत्रता से पहले की अंतरिम सरकार के नेताओं की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी जुलाई 1947 में हत्या कर दी गई थी।
एक विशेष आतिथ्य सत्कार में आंग सान सू की नेपीथा से यंगून आईं और प्रधानमंत्री मोदी को बोगोयोक आंग सान म्यूजियम दिखाया। यह आंग सान का अंतिम निवास था। यहां पर सू की का बचपन बीता था।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने श्रीकाली मंदिर में पूजा अर्चना की। इसे तमिल प्रवासियों ने 1871 में बनवाया था। उस दौरान बर्मा प्रांत ब्रिटिश भारत का हिस्सा था।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि यांगून के कालीबाड़ी मंदिर में पूजा की। अत्यधिक सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।” ट्वीट के साथ मंदिर की फोटो भी ट्वीट की।
अपने प्रस्थान से पहले अंतिम कार्यक्रम में मोदी ने अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की मजार पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
मोदी ने बुधवार को सू की के साथ नेपीथा में द्विपक्षीय वार्ता की। इसके बाद भारत व म्यांमार ने 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
मोदी ने कहा कि भारत रखाइन राज्य में हिंसा पर म्यांमार की चिंताओं को साझा करता है, जिसमें म्यांमार के सुरक्षा कर्मियों व निर्दोष लोग की जान गई है और इससे अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है।
मोदी बुधवार को प्राचीन शहर बागान गए और आनंद मंदिर का दौरा किया, जहां आर्कियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया इसकी मरम्मत में शामिल है। उन्होंने शाम को यहां थुवुन्ना स्टेडियम में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया था।