इंदौर/धार। सरदार सरोवर बांध से डूब में आने वालों के हक के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर का उपवास शनिवार को दसवें दिन भी जारी रहा।
उनकी हालत में लगातार आ रही गिरावट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चिंता जता चुके हैं और चौहान के आग्रह पर सामाजिक संत उदय सिंह देशमुख उर्फ भय्यूजी महाराज प्रशासनिक अफसरों के साथ मध्यस्थता के लिए उपवास स्थल पर गए भी, मगर पांच घंटे चली चर्चा बेनतीजा रही। कई संगठनों ने नौ अगस्त को जल भरो आंदोलन का ऐलान किया है।
ज्ञात हो कि पूर्ण पुनर्वास के बाद विस्थापन की मांग को लेकर मेधा अन्य 11 लोगों के साथ 10 दिनों से उपवास पर हैं। मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर शनिवार को सामाजिक संत भय्यूजी महाराज के साथ प्रमुख सचिव चंद्रशेखर बोरकर व इंदौर के संभागायुक्त संजय दुबे चिखल्दा पहुंचे। दोनों पक्षों के बीच लंबी बातचीत हुई।
संभागायुक्त दुबे ने बताया कि मेधा और आंदोलनकारियों से लगभग पांच घंटे चर्चा चली, मगर उनकी कुछ शर्ते ऐसी हैं, जिन्हें पूरा कर पाना संभव नहीं है। उनकी मांग है कि सरदार सरोवर बांध के गेट खोले जाएं, ये गेट राज्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश तथा गुजरात के मसले पर राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती। लिहाजा बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।
ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर किए जाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव और इनमें बसे 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक पूर्ण पुनर्वास के बाद ही विस्थापन और बांध की ऊंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया था। जहां नई बस्तियां बसाने की तैयारी चल रही हैं, वहां के हाल एकदम बुरे हैं। वहां रहना तो दूर बस्तियों तक आसानी से पहुंचना भी मुश्किल है।
पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर मेधा पाटकर ने अपने 11 साथियों के साथ धार जिले के चिखल्दा में अनिश्चितकालीन उपवास 27 जुलाई से शुरू किया। पहले सरकार की ओर से मेधा पर आरोप लगाए गए, बाद में सरकार को लगा कि इससे गलत संदेश जाएगा, तो मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं शुक्रवार को एक के बाद एक ट्वीट कर मेधा से उपवास खत्म करने का आग्रह किया। क्योंकि शुक्रवार को चिकित्सा परीक्षण में मेधा की हालत को गंभीर बताया गया था।
इतना ही नहीं मेधा को उपवास के दौरान कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, स्वराज भारत पार्टी के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों का साथ मिलने लगा। जनता दल (युनाईटेड) के शरद यादव ने भी शुक्रवार को मेधा को पत्र लिखकर उपवास खत्म करने की अपील की और साथ ही भरोसा दिलाया कि उनके साथ देश और दुनिया का बड़ा वर्ग है। कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में मामला उठाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मेधा का समर्थन किया।
सरकार के चिंतित होने की वजह भी है। उसे लगता है कि मेधा व 11 अन्य लोगों के उपवास को 10 दिन हो गए हैं, उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है, अगर यह उपवास जारी रहा और कुछ हो गया तो उसके लिए जवाब देना कठिन हो जाएगा। लिहाजा मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यस्थता के लिए इंदौर में निवासरत सामाजिक संत भय्यूजी महाराज को चुना।
ज्ञात हो कि भय्यूजी महाराज दिल्ली में अन्ना हजारे का अनशन खत्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इतना ही नहीं गुजरात में नरेंद्र मोदी का उपवास भी उन्होंने रस पिलाकर तुड़वाया था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भय्यूजी की नजदीकी किसी से छुपी नहीं है। उनका कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, राकांपा, मनसे के नेताओं से भी सीधा संवाद है।
इस बीच, राजधानी के गांधी भवन में सामाजिक संगठनों, वरिष्ठ साहित्यकारों, साहित्यिक सांस्कृतिक संगठनों, ट्रेड यूनियन तथा कर्मचारी संगठनों, किसान संगठनों, राजनीतिक दलों, पत्रकारों, महिला एवं छात्र संगठनों ने बैठक कर मेधा के आंदोलन का समर्थन किया।
बैठक ने इस शांतिपूर्ण-न्यायपूर्ण आंदोलन के समर्थन तथा सरकार के असंवेदनशील रवैये के विरोध में नौ अगस्त को प्रदेश भर में जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया है। इससे पहले छह, सात तथा और आठ अगस्त को जनता के बीच जाकर गीत-कविता-नाटक-चित्रकला-सभा-पर्चा के माध्यम से जानकारी वितरण कर इस मुद्दे को आम लोगों के बीच पहुंचाया जाएगा।