माउण्ट आबू। माउण्ट आबू जैसी छोटी सी जगह के दावानल पर नासा जैसी विश्व की सबसे बडी एजेंसी की पुष्टि करने की बात सुनने में कुछ अजीब लग रही होगी, लेकिन यह तथ्य सत्य है कि माउण्ट आबू में चार दिन से भडके भयंकर दावानल पर 95 प्रतिशत तक नियंत्रण के प्रशासनिक दावे की पुष्टि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सेटेलाइट भी कर रहे हैं और इसकी रिपोर्ट देहरादून स्थित भारत की फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया प्रतिदिन, प्रतिघंटा, प्रतिपल तैयार कर रही है।
सिरोही के प्रशासन की ओर से सोमवार को माउण्ट आबू में दावानल पर करीब 95 प्रतिशत नियंत्रण करने के दावेकी पुष्टि भी इसी सेटेलाइट से हो रही है। नासा के सेटेलाइट से फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया के द्वारा दोपहर एक बजकर 09 मिनट पर ली गई तस्वीर के अनुसार रिपोर्ट जारी की गई है।
इसमें इस समय पर सिरोही जिले में 24 डिग्री 34 मिनट 21 सेकेंड उत्तरी अक्षांश और 72 डिग्री 44 मिनट 50 सेंकेंड देशांतर पर एक फायर प्वाइंट होने या आग लगने की रिपोर्ट जारी की गई है। वास्तव में इस समय माउण्ट आबू में इसी स्थान पर दावानल भडका हुआ था।
-आरणा के पास है यह स्थान
विकिमेपिया पर आरणा हनुमान के क्षेत्र की अक्षांशीय स्थिति करीब 24 डिग्री 34 मिनट और 19 सेकेंड उत्तर तथा देशांतर स्थिति 72 डिग्री 44 मिनट 56 सेकेंड दिखा रहा है। फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया की ओर से सोमवार दोपहर को नासा के सेटेलाइट से ली गई इमेज के अनुसार जारी रिपोर्ट में सिरोही जिले में 24 डिग्री 34 मिनट 21 सेकेंड उत्तरी अक्षांश और 72 डिग्री 44 मिनट 50 सेंकेंड देशांतर पर फायर प्वाइंट होने की जानकारी दी गई है।
विकिमेपिया में आरणा हनुमान की जीपीएस लोकेशन और एफएसआई की ओर से जारी रिपोर्ट में दोपहर एक बजकर 9 मिनट पर नजर आई फायर प्वाइंट की जीपीएस लोकेशन लगभग समान ही है। इस समय माउण्ट आबू के प्रशासनिक लवाजमा यहां पर आज दावानल बुझाने में लगे हुए थे।
-जनवरी में ही शुरू किया अलर्ट जारी करना
फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया 2004 से ही नासा के सेटेलाइट से फाॅरेस्ट फायर की इमेजिंग कर रहा है। दुनिया भर में किए गए रिसर्च में यही सामने आया है कि वन संपदा को सबसे ज्यादा नुकसान दावानल से ही होता है।
इसे समय पर नियंत्रित करने के लिए सेटेलाइट इमेज में दावानल दिखने पर इसकी रिपोर्ट देश के सभी राज्यों के डीएफओ, रेंजर्स, बीट इंचार्जों को भेजने के लिए 23 जनवरी 2017 को एसएमएस अलर्ट सिस्टम शुरू किया गया।
इसके माध्यम से देश के सभी वन विभाग के अधिकारियों व कार्मिकों आदि के मोबाइल नम्बरों को रजिस्टर्ड किया गया है। इन रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों पर फाॅरेस्ट फायर नजर आने पर एसएमएस अलर्ट भेजा जाता है। जिससे संबंधित वन क्षेत्र के अधिकारियों कार्मिकों को उनके क्षेत्र में भडके दावानल की सूचना मिल जाती है।
जिससे संबंधित वन क्षेत्र के कार्मिक दावानल को काबू करने में लग सकें। इस अलर्ट सिस्ट में सबसे ज्यादा वन अधिकारी व कार्मिक महाराष्ट्र के जुडे हुए हैं, जो दो हजार से भी ज्यादा है। राजस्थान में इस अलर्ट सिस्टम से जुडे अधिकारियों और कार्मिकों की संख्या दो सौ से भी कम है।
इनका कहना है…
राजस्थान के सारे एसीएफ एफएसआई के अलर्ट सिस्टम से जुडे हुए हैं। इसकी रिपोर्ट की मदद से और जीपीएस वाले कैमरों की मदद से ही माउण्ट आबू में दावानल को काबू किया गया। हेलीकाॅप्टर के नेवीगेशन को इससे जोडने से वायुसेना के पायलटों को बिल्कुल सही लोकेशन पर पानी डालने में समस्या नहीं हुई। इससे इतने भयंकर दावानल को जल्दी काबू कर लिया गया।
केजी श्रीवास्तव
एसीएफ, माउण्ट आबू सेंचुरी।
- परीक्षित-मिश्रा
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