नई दिल्ली। ब्रिटेन में जनमत संग्रह पर हुई हलचलों के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रेक्जिट की छोटी और मध्यम अवधि के परिणामों से अच्छी तरह निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
उन्होंने कहा कि भारत अपने व्यापक आर्थिक ढांचे के स्थायित्व को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और राजकोषीय अनुशासन तथा मुद्रा स्फीति में गिरावट के साथ हमारा व्यापक आर्थिक ढांचा बहुत ही सामान्य स्थिति में है।
वित्त मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि हमारी तात्कालिक और मध्यम अवधि की सुरक्षा मजबूत है। लघु अवधि में होने वाले किसी प्रकार के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, अन्य नियामक पूरी तरह से तैयार हैं और साथ-साथ काम कर रहे हैं।
अरुण जेटली ने भारत के महत्वाकांक्षी सुधारवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव को कम करेंगे जिसमें जीएसटी बिल का जल्द से जल्द पास होना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य इस उतार-चढ़ाव को कम करना और अर्थव्यवस्था पर लघु अवधि के लिए इसके प्रभाव को कम करना है।
उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में निवेशकर्ता जब पूरे विश्व में सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं, तब भारत स्थिरता और विकास दोनों ही रूप में मजबूती से खड़ा है। भारत आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पूरे भारत में हो रही अच्छे मानसून के कारण हमारे विकास और मुद्रा स्फीति में सुधार हो रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हम उस जनमत संग्रह के निर्णय का सम्मान करते हैं और आने वाले समय में और मध्यम अवधि में इसके महत्व से अवगत है। उन्होंने कहा कि यह सबके विकास के लिए हमारे उद्देश्य को पूरा करने में सहयोग करने के साथ हमारी मध्यम अवधि के विकास को 8 से 9 प्रतिशत रखने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि इस वैश्विक दुनिया में परिवर्तनशीलता और अनिश्चितता नए मानक हैं। इस निर्णय से निश्चित रूप से भविष्य में उतार-चढ़ाव होगा, क्योंकि ब्रिटेन, यूरोप और बाकी बचे दुनिया के लिए इसका पूर्ण तात्पर्य अब तक अनिश्चित है। दुनिया के सभी देशों को एक निश्चित अवधि के लिए इस जनमत संग्रह से होने वाले प्रभावों के लिए अपने आपको तैयार और सतर्क रखना होगा।