नई दिल्ली। नेशलन हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ा कानूनी झटका लगा है। हाईकोर्ट ने दोनों नेताओं को इस केस में पेशी से छूट देने से इंकार कर दिया है। उन्हें मंगलवार को अब कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।
सोनिया और राहुल ने पेशी से छूट के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी मांग को खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे।
बाद में अपील करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने समन पर रोक लगा दी थी। चार दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की 5,000 करोड की संपत्ति जब्त कर ली।
पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एेसोसिएट जनरल लिमिटेड को कांग्रेस ने 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपए से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है।
इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को एेसोसिएट जनरल लिमिटेड के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में स्वामित्व मिल गया।
स्वामी ने इस 90 करोड़ रुपये के प्रकरण में हवाला कारोबार का शक जताया है। स्वामी का यह भी आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 1,600 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया।
उनका आरोप है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है। हेराल्ड हाउस को फिलहाल पासपोर्ट ऑफिस के लिए किराये पर दिया गया है। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाजा से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।