नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है। अदालत के इस फैसले से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपियों को राहत मिली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले पर रोक लगा दी है इसमें वित्त-कॉर्पोरेट मंत्रालय (2010-11) के दस्तावेज मांगे गए थे।
नेशनल हेराल्ड की अरबों रुपए की संपत्ति हड़पने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव मोतीलाल वोरा, महासचिव ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के अलावा अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत ने समन जारी किया था।
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मामले में याचिकाकर्ता भाजपा नेता सुब्रह्माण्यम स्वामी ने मंगलवार को कहा कि अदालत ने आदेश दिया कि मुझे दस्तावेजों के लिए फिर से अप्लाई करना चाहिए।
इससे पहले निचली अदालत ने गत 11 फरवरी को सुब्रह्माण्यम स्वामी की याचिका पर वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, आयकर विभाग व अन्य एजेंसियों से दस्तावेज मांगे थे।
इससे पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और यंग इंडिया लिमिटेड ने निचली अदालत के उक्त फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।
इससे पूर्व यंग इंडिया लिमिटेड व अन्य की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी व आरएस चीमा ने कहा था कि निचली अदालत ने अपना फैसला देने से पहले उनके मुवक्किल का पक्ष नहीं पूछा।
अदालत ने अपने फैसले में समन करने का कोई कारण भी नहीं बताया है। ये नहीं बताया गया है कि दस्तावेज क्यों वांछनीय हैं। उनकी आवश्यकता क्या है, जबकि नियमों के तहत यह बातें बताई जानी चाहिए थीं।