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नौवहन उपग्रह की घड़ियां कर रहीं टिकटिक, ISRO करेगा प्रणाली का विस्तार - Sabguru News
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नौवहन उपग्रह की घड़ियां कर रहीं टिकटिक, ISRO करेगा प्रणाली का विस्तार

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नौवहन उपग्रह की घड़ियां कर रहीं टिकटिक, ISRO करेगा प्रणाली का विस्तार
Navigation satellite clocks ticking, system to be expanded : ISRO
Navigation satellite clocks ticking, system to be expanded : ISRO
Navigation satellite clocks ticking, system to be expanded : ISRO

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा रोज सुबह नौवहन उपग्रह प्रणाली एनएवीआईसी की घड़ी से टिक-टिक की आवाज आने की घोषणा के बाद एजेंसी के वैज्ञानिक चैन की सांस लेते हैं। एनएवीआईसी के छह उपग्रहों में दो के बदले केवल एक रूबीडियम घड़ी को चालू किया गया है।

घोषणा का तात्पर्य यह है कि छह उपग्रहों में लोकेशन संबंधित आंकड़े प्रदान करने वाली परमाणु घड़ी सामान्य ढंग से काम कर रही है। पहले नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए के तीन परमाणु घड़ियां पहले ही नाकाम हो चुकी हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष ए.एस.किरण कुमार ने शनिवार को कहा कि घड़ी सामान्य ढंग से काम कर रही है। अहम कारणों से प्रौद्योगिकी संबंधी जानकारियों को साझा करना संभव नहीं है। इसरो विभिन्न रणनीति अपना रहा है, ताकि इस उपग्रह प्रणाली से बेहतरीन नतीजे मिले।

इसरो के सूत्रों ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि उपग्रह प्रणाली में दो और परमाणु घड़ियों में गड़बड़ियां दिखने लगी हैं, जिसके बाद नाकाम घड़ी की कुल संख्या पांच हो गई है।

सूत्रों ने कहा कि इसलिए एहतियातन तथा उपग्रहों के जीवन काल को बढ़ाने के लिए इसरो एनएवीआईसी प्रणाली को दो के बदले एक घड़ी से संचालित कर रहा है। अगर यह घड़ी नाकाम हो गई, तो बचाकर रखी गई घड़ी को चालू किया जाएगा।

प्रारंभिक योजना दो घड़ी को चालू रखने तथा एक को स्टैंडबाय मोड में रखने की थी। भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली अमरीका के जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), रूस के ग्लोनास, यूरोप के गैलीलियो तथा चीन के बैदू की तरह है।

प्रत्येक उपग्रह में तीन घड़ियां हैं और इस तरह नौवहन उपग्रह प्रणाली में कुल 27 घड़ियां हैं, जिन्हें एक ही वेंडर ने मुहैया कराया है। लोकेशन की सही-सही जानकारी पाने के लिए घड़ी जरूरी हैं।

इसरो के सैटेलाइट एप्लिकेशंस सेंटर के निदेशक तपन मिश्रा ने कहा कि घड़ी सही तरीके से काम कर रही है। सिग्नल अच्छे मिल रहे हैं। आईआरएनएसएस-1ए के लिए रिप्लेशमेंट उपग्रह इस साल भेजा जाएगा। हमारी प्रणाली पहले से ही सटीक आंकड़े उपलब्ध करा रही है, यहां तक कि घनी आबादी वाले तथा जंगली इलाकों के भी सटीक आंकड़े मिल रहे हैं।

मिश्रा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि परमाणु घड़ी केवल भारतीय उपग्रह नौवहन प्रणालियों में ही नाकाम हुई है, रपट के मुताबिक यूरोपीय प्रणाली गैलीलियो की भी परमाणु घड़ियां नाकाम हुई हैं।

कुल 1,420 करोड़ रुपए की लागत वाले भारतीय उपग्रह नौवहन प्रणाली एनएवीआईसी में नौ उपग्रह हैं। सात कक्षाओं में स्थापित हैं, जबकि दो विकल्प के रूप में हैं।

कुमार ने कहा कि हम कई तरह के कार्यो में एनएवीआईसी प्रणाली का पहले से ही इस्तेमाल करते आ रहे हैं। आईआरएनएसएस-1ए का रिप्लेसमेंट उपग्रह जुलाई या अगस्त में छोड़ा जाएगा। एनएवीआईसी प्रणाली में उपग्रहों की संख्या सात से बढ़ाकर 11 कर इसे विस्तार देने की भी योजना है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सात नौवहन उपग्रहों को लॉन्च किया है। इसकी शुरुआत जुलाई, 2013 में हुई थी। अंतिम उपग्रह 28 अप्रैल, 2016 को लॉन्च किया गया था। प्रत्येक उपग्रह का जीवन काल 10 वर्ष है।

आईआरएनएसएस-1ए की तीन घड़ियों के कुछ महीने पहले नाकाम होने से पहले तक एनएवीआईसी बेहतर तरीके से काम कर रही थी।