चंडीगढ़। पंजाब की राजनीति के धुरंधर नवजोत सिंह सिद्धू की गुगली को झेल नहीं पा रहे हैं। लगातार तीन माह तक रहस्य बनाये रखने के बाद आखिरकार बुधवार को सिद्धू ने पंजाब में नया सियासी दल बनाने से इंकार कर दिया।
बुधवार को जारी एक बयान में पूर्व क्र्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि वह कोई नया सियासी दल नहीं बनायेंगे। आवाज-ए-पंजाब के माध्यम से पंजाब की उन्नति के लिए कार्य करने वाले राजनीतिक दल को वह समर्थन देंगे, लेकिन वह दल कौन सा होगा यह सिद्धू ने अपने बयान में स्पष्ट नहीं किया है।
सिद्धू के इस कदम से पंजाब के सियासी हल्के में चर्चाओं का बाजार गर्म है। विभिन्न राजनीतिक दल इसको लेकर अपने-अपने स्तर पर अटकलें लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि अमृतसर से भाजपा के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने 19 जुलाई को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू लोकसभा चुनाव में अपना टिकट कटने से भाजपा नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे थे।
राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू के आम आदमी पार्टी व कांग्रेस में जाने के भी कयास लगाये जा रहे थे। सिद्धू की केजरीवाल के साथ एक बैठक भी हो चुकी थी। लेकिन इन सब के बीच सिद्धू ने लुधियाना व जालंधर में मजबूत जनाधार रखने वाले विधायक बैंस बन्धुओं व पूर्व ओलंपियन परगट सिंह के साथ मिलकर आवाज-ए-पंजाब नाम का एक मोर्चा बना लिया।
इस मोर्चा के पंजाब के 117 विधान सभा सीटों पर चुनाव भी लड़ने की बात चल रही थी, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत करना था। इस मोर्चा में आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश संयोजक व सांसद सुच्चा सिंह छोटेपुर को भी शामिल होना था।
इसको लेकर मोर्चा के सदस्यों व सुच्चा सिंह के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी थी, लेकिन सिद्धू के बयान ने सभी राजनीतिक हल्के में चर्चाओं के बाजार को गर्म कर दिया है।