चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के एक लोकप्रिय टीवी कॉमेडी शो में उपस्थिति को लेकर कहा कि यह नैतिकता का मामला है, लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि यह साफ नहीं है कि क्या उच्च न्यायालय के पास इस तरह के मामलों में फैसले का अधिकार है।
उच्च न्यायालय में वकील-कार्यकर्ता एच.सी. अरोड़ा द्वारा दायर एक जनहित याचिका में सिद्धू के सोनी टीवी पर ‘कपिल शर्मा शो’ में उपस्थिति को रोकने की मांग की गई है। इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वह अभी भी आश्वस्त नहीं है कि मामले में निर्देश देना उसके अधिकार क्षेत्र में है।
अपनी मौखिक टिप्पणी में पीठ ने कहा कि एक मंत्री आचार संहिता के दायरे में नहीं है जो सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है। पंजाब के महाधिवक्ता अतुल नंदा ने गुरुवार को पंजाब सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया। नंदा ने बताया कि मामले की सुनवाई 2 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
याचिकाकर्ता एच.सी. अरोड़ा ने सुनवाई के बाद मीडिया से कहा कि उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों (याचिकाकर्ता और सरकार) से कहा कि वे इस मामले को सुलझाने के लिए उसकी (उच्च न्यायालय) शक्तियों के मुद्दे पर राय दें।
क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को पंजाब कैबिनेट में मार्च में मंत्री बनने के बाद कामेडी शो में अपनी मौजूदगी बनाए रखने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
हालांकि, सिद्धू ने अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि यह शो उनकी आय का एकमात्र जरिया है और वह सप्ताह में सिर्फ एक दिन इसकी शूटिंग के लिए मुंबई जा रहे हैं।
एक अन्य मामले में उच्च न्यायालय ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह के हितों के टकराव के मामले को स्थगित कर दिया।
गुरजीत सिंह के खिलाफ दायर जनहित मामले में कहा गया है कि वह पंजाब में ऊर्जा मंत्री है और एक निजी बिजली आपूर्ति कंपनी में उनके काफी संख्या में शेयर हैं। यह कंपनी सरकारी बिजली आपूर्ति निगम को बिजली देती है।
गुरजीत सिंह ने कांग्रेस सरकार में 16 मार्च को ऊर्जा मंत्री की शपथ ली थी। वह पेशे से उद्योगपति हैं।