चंडीगढ़। पंजाब की राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू की बदलती रणनीति ने सभी राजनीतिक दलों को पेशोपेश में डाल दिया है। पूर्व क्रिकेटर की नई चाल से सबसे ज्यादा परेशान नए-नए कांग्रेसी बने सरदार मनप्रीत बादल हैं।
सिद्धू की कांग्रेस से बढ़ती तथाकथित नजदीकियों ने इस नए कांग्रेसी को अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है। मनप्रीत बादल ने कांग्रेस हाईकमान से सम्पर्क कर अपना पक्ष भी रख चुके हैं। लेकिन कैप्टन अमरेन्द्र के आगे उनकी दाल गलती दिखाई नहीं दे रही है।
कैप्टन ने राहुल गांधी से हालिया मुलाकात में एक बार फिर नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस में शामिल करने की जोरदार वकालत की है।
गौरतलब है कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर व अमृतसर से पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले माह राज्यसभा से इस्तीफा देकर पंजाब की राजनीति में एक बार फिर से सक्रिय भूमिका निभाने का ऐलान किया था।
इसके बाद से भारती जनता पार्टी के इस फायर ब्रांड नेता को अपने पाले में लाने के लिए आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस तक ने भरपूर कोशिश प्रारम्भ कर दिया था।
एक ओर आप संयोजक अरविन्द केजरिवाल जहां सिद्धू के कदम की तारीफ कर रहे थे, तो वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सिद्धू से अपने पारिवारिक रिश्तों का हवाला देकर उन्हें अपने पाले में लाने का राजनीतिक पाशा फेंक रहे थे।
लेकिन राजनीति के चतुर खिलाड़ी पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सूत्रों के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की राजनीति में अपनी दमदार भूमिका चाहते हैं। इसको लेकर उनकी आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के साथ कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
लेकिन अन्दर खाने की बात यह है कि अभी तक किसी भी पार्टी ने सिद्धू को कोई भी ठोस आश्वासन नहीं दिया है। लेकिन दोनों ही पार्टियों में सिद्धू के जाने को लेकर अभी से विरोध प्रारम्भ हो गया है। इसमें सबसे ज्यादा परेशान अभी-अभी कुछ दिनों पहले कांग्रेसी बने मनप्रीत सिंह बादल हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन अमरिन्द्र ने मनप्रीत सिंह बादल को अपने बाद प्रदेश में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण नेता बनाने जाने का आश्वासन देकर कांग्रेस में न केवल उनको शामिल करा लिया, बल्कि उनकी पार्टी पीपीपी का भी विलय करा दिया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के सगे भतीजे मनप्रीत सिंह बादल को कैप्टन ने सदस्यता दिलाने के साथ ही कांग्रेस चुनावी घोषणा पत्र बनाने की भी जिम्मेदारी दे दी। लेकिन सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों ने मनप्रीत सिंह बादल की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
मनप्रीत सिंह बादल जानते हैं कि उनकी तरह सिद्धू भी पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल व उनकेे पुत्र उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के शुरू से ही विरोधी रहे हैं। कांग्रेस में सिद्धू के शामिल होते ही पार्टी कोे बादल के खिलाफ कांउटर करने के लिए सिद्धू को प्रमुखता से स्थान मिलेगा। जिससे उनका राजनीतिक नुकसान निश्चित है।
इस संभावना को देखते हुए मनप्रीत सिंह बादल ने अपनी समस्या को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने भी उठाया था। तब राहुल ने उन्हें निश्चिंत रहने का आश्वासन तो दे दिया था। लेकिन कैप्टन द्वारा लगातार सिद्धू को कांग्रेस में शामिल कराने की कोशिश को देखते हुए मनप्रीत सबसे ज्यादा परेशान दिखाई दे रहे हैं।
नाम न बताने की शर्त पर कैप्टन के एक निकट सहयोगी का कहना है कि मनप्रीत सिंह बादल ने कैप्टन से स्वयं कई बार अपनी चिंता को प्रकट किया है। जिस पर कैप्टन ने उन्हें घोषणा पत्र के निर्माण पर ध्यान देने की बात कह कर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।