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सी-हैरियर की छुट्टी, नौसेना में मिग-29 के लड़ाकू विमान शामिल - Sabguru News
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सी-हैरियर की छुट्टी, नौसेना में मिग-29 के लड़ाकू विमान शामिल

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सी-हैरियर की छुट्टी, नौसेना में मिग-29 के लड़ाकू विमान शामिल
navy phases out Sea-Harrier aircraft, inducts MiG-29K/kub into INAS 300
navy phases out Sea-Harrier aircraft, inducts MiG-29K/kub into INAS 300
navy phases out Sea-Harrier aircraft, inducts MiG-29K/kub into INAS 300

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना एयर स्क्वायड्रन (आईएनएएस 300) के सी-हैरियर विमानों को बुधवार को विदाई दी गई। नौ सेना में 33 साल तक सेवा देने के बाद हटाए जाने से पहले सी-हैरियर विमानों अंतिम उड़ानें भरी। इसका स्थान नया और घातक मिग-29 के से लैस नए स्क्वायड्रन ने लिया है।

इस अवसर पर आईएनएएस हंस, गोवा में एक समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धोवन, वाइस एडमिरल सुनील लन्बा, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पश्चिमी नौसेना कमान, भारतीय नौसेना के अधिकारी और सेवानिवृत अधिकारी और आईएनएएस 300 में सेवा देने वाले सभी कर्मी शामिल थे।

समारोह में एडमिरल आर.के. धोवन ने देश की रक्षा में स्क्वायड्रन द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने पायलटों, रख-रखाव करने वाले लोगों तथा विमान को उड़ाने तथा कार्य योग्य बनाए रखने के काम से जुड़े सभी लोगों के पेशेवर होने की प्रशंसा की।

बैटन मिग-29के स्क्वायड्रन को सौंपा गया। मिग-29के स्क्वायड्रन ने सबसे कम समय में आईएनएस विक्रमादित्या के साथ लड़ाकूओं का एकीकरण किया था। आईएनएएस 300 ‘वाइट टाइगर्स’ के सम्मान में एक विशेष समारोह हुआ जिसमें सी-हैरियर विमानों ने अंतिम रूप से उड़ान भरी।

समारोह में मिग-29 के द्वारा सुपरसोनिक पास तथा दो-दो सी-हैरियर तथा मिग-29 के विमानों का फॉरमेशन फ्लाइंग भी दिखाया गया। वायु प्रदर्शन के बाद परंपरागत रूप से सी-हैरियर वासिंग डाउन कार्यक्रम हुआ।

अपनी विशिष्टता, दृढ़ता और आक्रमकता के लिए विख्यात वाइट टाइगर्स या आईएनएएस 300 का आगमन भारतीय नौसेना में वाहक उड्डयन के रूप में हुआ था। छह दशक पहले आरएएनएस 300 ब्राउड्री में इसे कमीशन किया गया और वाइट टाइगर्स लोगों के साथ सी-हॉक विमान से लैस किया गया था।

दो दशकों तक उल्लेखनीय सेवा के बाद 1983 में स्क्वायड्रन को सी-हैरियर के साथ लगाया गया। यह प्रमुख वाहक लड़ाकू स्क्वायड्रन भारतीय नौसेना में प्रतिष्ठा का स्थान रखता है और इसे एक महावीर चक्र, चार वीर चक्र तथा एक नौसेना पदक मिल चुका है।