नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एम.वेंकैया नायडू को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही देश के दूसरे सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार को लेकर स्थिति साफ हो गई है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में पार्टी की केंद्रीय संसदीय दल की 90 मिनट तक चली बैठक के बाद नायडू के नाम की घोषणा की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई शीर्ष नेता शामिल थे।
शाह ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि वेंकैया देश के वरिष्ठ नेताओं में हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, जो युवाकाल से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्हें भाजपा तथा राजग द्वारा सर्वसम्मति से चुना गया है। राजग के सभी सदस्यों ने उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी का स्वागत किया है।
उत्तर प्रदेश के रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार दक्षिण भारत से होगा और नायडू इसके लिए सबसे योग्य थे।
अगर नायडू का निर्वाचन होता है, तो वह राज्यसभा के उपसभापति होंगे, जहां भाजपा अभी भी बहुमत से दूर है। पार्टियों के बीच अपने दोस्ताना संबंधों की वजह से उम्मीद है कि नायडू सदन की कार्यवाही सुचारु ढंग से चलाने में सक्षम होंगे।
शाह ने नायडू को मोदी सरकार का सफल मंत्री करार दिया, जिनके पास शहरी विकास तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय हैं।
उन्होंने कहा कि कई नामों पर विचार किया गया और अंतत: नायडू के नाम पर सर्वसम्मति बन गई।
संवाददाताओं के सवालों के जवाब में शाह ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष अपना उम्मीदवार नहीं उतारता। उन्होंने कहा कि नायडू मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे नामांकन दाखिल करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी से मुंबई बम कांड के दोषी याकूब मेमन की फांसी के विरोध के लिए उनसे माफी मांगने की बात की है? शाह ने कहा कि वह ऐसे मुद्दों में नहीं पड़ना चाहते।
उन्होंने कहा कि नायडू एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, जिनकी उम्मीदवारी का राजग के सभी नेताओं ने स्वागत किया है। नायडू दो बार भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और चार बार से राज्यसभा सांसद हैं।
उन्होंने कहा कि नायडू अपने युवाकाल से ही भाजपा से जुड़े रहे हैं और वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता तथा छात्रसंघ के नेता थे। वह जयप्रकाश आंदोलन से भी जुड़े और आंध्र प्रदेश से दो बार विधायक तथा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बने।