अजमेर। सडक किनारे एक चमचमाते स्टाल पर सजे रंग बिरंगे कपडे, आस पास जमा लोगों की भीड। इसी बीच एक गरीब सा दिखने वाला शख्स बरबस एकटक नजारे को निहारने लगता है।
कपडों की सेल समझ कर वह भी सस्ते में खरीदारी की हिम्मत जुटा कर दो पीस चुन लेता है। जेब में हाथ डालकर कुछ रुपए निकालता है और काउंटर पर खडे एक व्यक्ति से पूछता है कि कितने पैसे के हैं ये दो कपडे।
जवाब मिलता है कि कोई पैसे नहीं देने हैं, ले जाओं, वह गरीब सा दिखने वाला शख्स असमंजस में पड जाता है। बहुत आग्रह करने पर कपडे लेता है और दुआएं देते हुए आगे भीड से कहीं ओझल हो जाता है।
यह नजारा था शहर में सामाजिक एवं पर्यावरण सरोकारों को समर्पित संस्था अपना अजमेर के तत्वावधान में सूचना केन्द्र परिसर की चारदीवारी पर बनाई गई नेकी की दीवार की शुरुआत के दिन का। नेकी की दीवार के लिए कोई भी अपनी अतिरिक्त आवश्यकता की सामग्री यहां जमा करा सकेगें और जिसे उन वस्तुओं की आवश्यकता होगी वे यहां से ले सकेगें यह कार्य पूर्ण रूप से निःशुल्क होगा।
संस्था के सूत्रधार कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि अपना अजमेर संस्था का सामाजिक सरोकार में यह अनूठा प्रयास किया है। इस परिसर को बहुत आकर्षक रूप से सजाया गया है। प्रत्येक दानदाताओं द्वारा दी जाने वाली वस्तुओं के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए गए हैं।
विशेष रूप से गर्म कपड़े, सादे कपड़े, बर्तन, जुते-चप्पल, खिलौने, स्कूल बैग, किताबें, मेग्जीन, शॉल, कम्बल एवं दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं के लिए अलग-अलग स्थान हैं। उन्होने अपील की है कि कोई भी दानदाता खाद्य सामग्री अथवा दवाएं यहां पर न रखें।
नेकी की दीवार के शुभारम्भ के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा कि यह अजमेरवासियों के लिए एक विशेष सोगात है। हम लोगों के पास ऐसे अनेक वस्तुएं है जिनका हम उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन वे किसी ओर के काम आ सकती है।
यहीं बात ध्यान में रखकर आरम्भ की गई नेकी की दीवार एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति खुद के लिए अनुपयोगी वस्तु को अन्य व्यक्ति को दान में देता है तो उसके मन में दाता का भाव पैदा होता हैं। जबकि वस्तु स्थिति यह है कि हर वस्तु ईश्वर की दी हुई है यदि उसका हमारे लिए उपयोग नहीं है तो उसे ईश्वर के नाम ही अर्पण कर देना चाहिए ताकि वह अन्य जरूरतमंद के काम आ सके।
एक ओर बड़ी बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति किसी से दान में कोई वस्तु लेता है तो उसके अन्दर दीनता का भाव आता है लेकिन यहां से कोई भी सम्मान के साथ वह वस्तु ले जा सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे ग्रंथों में भी कहा है कि जब दायिना हाथ दान करे तो बाएं हाथ को भी उसका पता नहीं लगना चाहिए। वहीं बात यहां चरितार्थ होती है।
राजस्थान धरोहर प्रौन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकर सिंह लखावत ने कहा कि समाजसेवा के लिहाज से यह अभियान अत्यंत उपयोगी है और भारतीय संस्कृति में वासुदेव कुटूंबकम का साक्षात उदाहरण है।
नगर निगम उप महापौर सम्पत सांखला ने कहा कि यह कार्यक्रम मानव में सेवा का भाव उत्पन्न करता है। साथ ही यहां वस्तु छोड़ जाने वाले के मन में संतोष का भाव पैदा होता है कि उसके लिए अनुपयोगी वस्तु किसी ओर के काम आ रही है। उन्होंने उपमहापौर के नाते शहरवासियों से अपील की कि इस अभियान से जुड़कर इसका लाभ उठाएं।
प्रो. बी.पी. सारस्वत ने कहा कि अपने घरों पर जो अतिरिक्त सामान है हमारी दृष्टि से वो फैशन से बाहर आ गया है या पुराना हो गया है पर अभी भी उपयोगी है। ऐसे सामान को यहां पर अजमेर की जनता यहां पर लाकर छोड़ सकती है और जो ऐसे लोग पिछले है, वांछित है, गरीब है जिनको कपड़े की आवश्यकता है, उन्हें यहां सुलभ है।
ज्निहें गरम कपड़ों कि आवश्यकता है उनकों कपड़ा, सामान मिल जाए ताकि वह लोग उसका उपयोग कर सकें। हमारी प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यह आहवान किया था कि जो हमारी बुक स्टॉल, खिलौने, कपड़े इनका एक बैंक बनाया गया और इसी के अनुरूप आज नेकी की दीवार शुरू हुई।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपना अजमेर संस्था के सम्पर्क प्रमुख विनीत लोहिया ने बताया कि इस मुहिम में लोगो का जनसहयोग मिल रहा है व रोजाना सुबह से शाम तक इस नेकी की दीवार पर वस्तुओं का आदान प्रदान जारी रहेगा।
इस अवसर पर गणमान्य जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक, धार्मिक संस्था पदाधिकारी, जे.के. शर्मा, वनिता जैमन, हरी चन्दनानी, गिरधर तेजवानी, भगवान कलवानी, नीरज जैन, भारती श्रीवास्तव, दुर्गादास शर्मा, गजेन्द्र के. बोहरा, आनन्द सिंह राजावत, अरविन्द शर्मा गिरधर, दिलिप पारीक, महेश लखन, अरूण अरोड़ा, अरूणा माथुर, महेन्द्र जैन मित्तल, अशोक शर्मा, इन्दर खब्बर, अनीश मोयल व अन्य पर्यावरण मित्र उपस्थित थे।