कोलकाता। नेपाल सरकार ने पत्र भेजकर जानकारी दी है कि कोलकाता की पर्वतारोही सुनीता हाजरा माउंट एवरेस्ट की चोटी छूने में कामयाब नहीं रही। कुछ दिनों पहले एवरेस्ट पर चढाई करने के दौरान वह अस्वस्थ होकर कोलकाता वापस आ गई थी।
एवरेस्ट की चोटी को छूने के उनके दावे के बाद भी वह उस अवसर की कोई तस्वीर नहीं दिखा पा रही है। पत्र में जानकारी दी गई है कि एवरेस्ट की सर्वोच्च चोटी को छूने के लिए 11 भारतीयों ने अभियान शुरु किया था। 11 में से 8 पर्वतारोही ही शिखर पर चढने में कामयाब रहे।
अभियान के दौरान पर्वतारोही सुभाष पाल, गौतम घोष व परेश नाथ की मौत हो गई। पत्र में आगे जानकारी दी गई है कि देवराज दत्त, प्रदीपचंद्र साव, चेतना साव, रमेशचंद्र राय, रुद्रप्रसाद हालदार, सत्यरुप सिद्धांत, मलय मुखर्जी, सुभाष पाल एवरेस्ट की चोटी को छूने में कामयाब रहे।
बीमार होने पर सबसे पहले सुनीता हाजरा वापस आ गई। वहीं सुनीता का दावा है कि एवरेस्ट की चोटी को छूकर लौटते समय वह अस्वस्थ हुई। एक ब्रिटिश पर्वतारोही ने उन्हें बचाया। एवरेस्ट की चोटी को छूने की कोई तस्वीर भी सुनीता के पास नहीं है।
इस खबर को सुनते ही सुनीता हाजरा अवाक रह गई। उनके पति सुदेव हाजरा का कहना है कि इस मामले में कानूनी सहयता लेने से पहले सुनीता का इलाज जरुरी है। उन्होंने कहा कि अभियान पर भेजनवाली एजेंसी ने मौखिक बयान दिया था कि सुनीता का अभियान सफल रहा था।
सुदेव हाजरा ने उस एजेंसी पर सवाल उठाया है कि एजेंसी मौखिक बयान देकर लिखित बयान क्यों नहीं दे रही है? सुनीता तस्वीर नहीं दिखा पा रही है इसका यह अर्थ नहीं लगाना जाना चाहिए कि वह झूठ बोल रही है।